हे भारत माँ के अनुपम सुत
जन-जन की आँखों के तारे
नर इंद्र तुम्हीं दामोदर हो
हे कोटि जनों के तुम प्यारे |
गाँधी ने अलख
जगाई थी
सरदार ने राह दिखाई थी
उस मिट्टी में
तुम पले बढ़े
है काम तेरे
न्यारे-न्यारे
हे कोटि जनों के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों के तारे |
हे महामना के मानस पुत्र
सन्देश तुम्हीं विवेका के
बाबा की धरती पर स्वागत
करते काशीवासी सारे
हे कोटि जनों के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों के तारे |
पुरखों का
युद्ध था गोरों से
खंडित आज़ादी
पाई थी
संघर्ष
तुम्हारा चोरों से
हे सुराज्य के
रखवारे
हे कोटि जनों
के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों
के तारे |
सूरज के आते ही नभ में
धरती आलोकित होती है
आशा विश्वास करोड़ों के
हर लो तुम सारे अंधियारे
हे कोटि जनों के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों के तारे |
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