Monday, April 28, 2014

पुरखों का युद्ध था गोरों से, मोदी का युद्ध है चोरों से


हे भारत माँ के अनुपम सुत
जन-जन की आँखों के तारे
नर इंद्र तुम्हीं दामोदर हो
हे कोटि जनों के तुम प्यारे |
      गाँधी ने अलख जगाई थी
      सरदार ने राह  दिखाई थी
      उस मिट्टी में तुम पले बढ़े
      है काम तेरे न्यारे-न्यारे
      हे कोटि जनों के तुम प्यारे
      जन-जन की आँखों के तारे |

हे महामना के मानस पुत्र
सन्देश तुम्हीं विवेका  के
बाबा की धरती पर स्वागत
करते काशीवासी सारे
हे कोटि जनों के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों के तारे |
      पुरखों का युद्ध था गोरों से
      खंडित आज़ादी पाई थी
      संघर्ष तुम्हारा चोरों से
      हे सुराज्य के रखवारे
      हे कोटि जनों के तुम प्यारे
      जन-जन की आँखों के तारे |
सूरज के आते ही नभ में
धरती आलोकित होती है
आशा विश्वास करोड़ों के
हर लो तुम सारे अंधियारे
हे कोटि जनों के तुम प्यारे
जन-जन की आँखों के तारे |




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