Tuesday, June 28, 2016

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दलितों और पिछड़ों के अधिकारों का हनन

         अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है जिसे केन्द्र सरकार से भारी अनुदान मिलता है। वह कोई सीया या सुन्नी वक्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित मदरसा नहीं है जिसमें सरकार के कानून लागू नहीं होते। देश के सभी केन्द्रीय और राज्य सरकारों के शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू है, अलीगढ़ इसका अपवाद क्यों है? आश्चर्य है कि दलितों और पिछड़ों के तथाकथित मसीहा लालू, मुलायम और मायावती इस विषय पर बिल्कुल खामोश हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इन नेताओं ने देश बंटवाया, समाज में विभाजन कराया और अब उसी के लिए दलितों और पिछड़ों के संवैधनिक अधिकारों को भी कुचले जाते हुए अपनी आंखों से देखकर भी चुप हैं। कल्पना कीजिए अगर ऐसी घटना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में घटी होती तो मीडिया और इन नेताओं की क्या प्रतिक्रिया होती!
एक सोची-समझी योजना के तहत दलितों और पिछड़ों को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आरक्षण से वंचित किया जा रहा है। अभीतक की वर्तमान  प्रवेश-नीति के अनुसार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में गैर मुस्लिमों की संख्या ४०% से अधिक हो ही नहीं सकती। इसके कारण वे हमेशा दबे रहते हैं। अपने त्योहार और कार्यक्रम भी खुलकर या बिना भय के नहीं मना सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की वही स्थिति है जो स्थिति बांग्ला देश या पाकिस्तान में हिन्दुओं की है। ध्यान रहे कि देश के बंटवारे की योजना करांची या लाहौर में नहीं बनी थी, बल्कि यह योजना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही बनी थी। अधिकांश दलित और पिछड़े बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय से आते हैं। अतः इनके लिए प्रवेश में आरक्षण लागू होते ही वहां की सांख्यिकी बदल जाएगी। इसीलिए अल्पसंख्यक संस्थान की आड़ में यह विश्वविद्यालय दलितों और पिछड़ों के संवैधानिक अधिकारों को नकार रहा है। भारतीय मुसलमानों की यह मानसिकता है कि जहां उन्हें लाभ मिलता है, वहां उन्हें भारतीय संविधान को मानने में कोई परहेज़ नहीं होता है लेकिन जहां उन्हें तनिक भी नुकसान कि आशंका होती है, वहां शरीयत, कुरान और मुस्लिम पर्सनल ला की दुहाई देने लगते हैं। अगर वे शरीयत के इतने ही भक्त होते, तो आपराधिक जुर्म में Indian Penal code की जगह सउदी अरब में लागू उन मुस्लिम कानूनों को लागू करने कि मांग क्यों नहीं करते, जहां चोरी करने की सज़ा दोनों हाथ काटकर दी जाती है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को UGC एवं केन्द्र सरकार से भारी मात्रा में धन और अनेकों सुविधाएं प्राप्त होती हैं, फिर वह अल्पसंख्यक संस्थान कैसे रहा? इस विश्वविद्यालय में एक और आरक्षण है जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। यहां विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के बच्चों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान है, जो किसी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में नहीं है।
  अतः देशहित एवं दलितों तथा पिछड़ों के व्यापक हित में है कि इन समुदायों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अविलंब आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाय। एक ही देश में दो तरह की व्यवस्था नहीं चल सकती। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई कश्मीर नहीं है, जहां धारा ३७० लागू है।