Tuesday, November 29, 2011

राष्ट्रीय तमाचा पार्टी

राष्ट्रीय तमाचा पार्टी
भ्रष्टाचार भवन,
धनपथ,
धृतराष्ट्र नगर
INDIA (That is bharat)
पिन कोड - ४२०-४२०
कार्यालय ज्ञापन

सं ०१/रातपा/सार्वजनिक दिनांक - इच्छानुसार
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि INDIA (That is bharat) में राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए गहन विचार-विमर्श और चिन्तन के पश्चात राष्ट्रीय तमाचा पार्टी का गठन किया गया है। इसकी प्रेरणा का स्रोत सत्ताधारी राष्ट्रीय पार्टी है जिसने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अपने निर्जीव तमाचा चुनाव चिह्न के सहारे दशकों तक INDIA पर राज किया है और आज भी कर रही है। राष्ट्रीय तमाचा पार्टी भारत के राष्ट्रीय जनता आयोग के द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्रतिष्ठित एनजीओ है। ज्ञात हो कि श्री अन्ना हजारे जी राष्ट्रीय जनता आयोग के सम्मानित अध्यक्ष हैं। पार्टी के विद्वत्‌परिषद ने भारत के इतिहास की निम्न घटनाओं का गहराई से अध्ययन, चिन्तन और मनन करने के पश्चात राष्ट्रीय हित और समाज के समग्र कल्याण हेतु रातपा जैसी अद्वितीय पार्टी के गठन का निर्णय लिया।
१. अगर ऋषि पुलस्त्य ने रावण को बचपन में ही तमाचा पदक से सम्मानित किया होता, तो सीता-हरण नहीं होता।
२. पितामह भीष्म और धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को पाद पदक से सम्मानित किया होता, तो द्रौपदी चीरहरण नहीं होता, महाभारत नहीं होता।
३. महात्मा गांधी ने जिन्ना को पादुका पदक से सम्मानित किया होता, तो देश का बंटवारा नहीं होता।
राष्ट्रीय तमाचा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरवर सरदार हरविन्दर सिंह हैं जिन्होंने कुछ ही दिवस पूर्व INDIA (That is bharat) के सम्माननीय कृषि मंत्री माननीय शरद पवार जी को उनकी मूल पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के निर्जीव चुनाव चिह्न के जोरदार सजीव प्रयोग से सम्मानित किया था। पूरे देश में भ्रष्टाचारियों के बीच प्रभावी खौफ पैदा करने के लिए पुरस्कारस्वरूप सरदार हरविन्दर सिंह को सर्वसम्मति से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। पार्टी ने सर्वसम्मति से श्री तेजपाल सिंह को जिन्हें वकील प्रशान्त भूषण को हस्त-पाद पुरस्कार देने का गौरव प्राप्त है, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव चुना है। इन दोनों की राय-मशविरा के पश्चात पार्टी की कार्यकारिणी का भी गठन किया गया है जिसे नेताओं के कालेधन की तरह देशहित और जनहित में गुप्त रखा गया है। कार्यकारिणी ने पूरे देश में अधिकतम एक अरब, इक्कीस करोड़ और न्यूनतम एक करोड़ सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। सदस्य बनने की शर्तें निम्नवत हैं -
१. INDIA (That is bharat) का कोई भी नागरिक इस संगठन का सदस्य बन सकता है।
२. कोई विदेशी इसकी सदस्यता ग्रहण नहीं कर सकता।
३. उम्र - बाल, युवा, वृद्ध।
४. योग्यता - हाथ-पांव का प्रभावी प्रयोग करने की इच्छाशक्ति एवं क्षमता।
५. पार्टी की सदस्यता निःशुल्क है।
६. सदस्यता के लिए किसी आवेदन पत्र की आवश्यकता नहीं है।
७. पार्टी की उद्देश्य-पूर्ति का दृढ़ संकल्प ही सदस्यता की गारंटी है।
पार्टी का उद्देश्य -
-- इस महान देश में INDIA (That is bharat) के नेता भारत को भिखमंगा कहते हैं। INDIA को गौरवशाली भारत बनाना हमारा पहला लक्ष्य है।
-- देश के सभी राजनेता, नौकरशाह, वकील, जनसेवक, एन.जी.ओ., न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, उद्योगपतियों, मीडिया और पूंजीपतियों के कार्यों और चरित्रों का सूक्ष्म अवलोकन और समीक्षा।
-- उपरोक्त श्रेणी के व्यक्तियों को उनकी योग्यता, क्षमता और अबतक किए गए कार्यों की समीक्षा के आधार पर निम्नलिखित पदकों से सम्मानित करना।
१. तमाचा पदक
२. पाद पदक
३. पादुका पदक
उपलब्धियां -
अबतक देश के माननीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार जी और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुखराम जी को तमाचा पदक और खण्डित भारत के प्रवक्ता, वकील श्री श्री प्रशान्त भूषण जी को पाद पदक से सम्मानित किया जा चुका है।
पार्टी के सर्वोच्च पदक - पादुका पदक से अभीतक किसी को अलंकृत नहीं किया गया है। लेकिन भारी संख्या में अभ्यर्थियों ने अपने आवेदन पत्र लिखित और ई-मेल के माध्यम से भेजे हैं। पादुका पदक के लिए इन अभ्यर्थियों में कई केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सत्तारुढ़ पार्टी के महासचिवों और युवराजों के नाम शामिल हैं। सम्यक विचारोपरान्त योग्य पात्र का चुनाव कर शीघ्र ही अधिसूचना निर्गत की जाएगी।
पार्टी का कोई भी सदस्य पदक के लिए घोषित किसी भी लाभार्थी को भारत में कहीं भी स्वयं पदक प्रदान कर सकता है। लाभार्थियों की सूची समय-समय पर अधिसूचित की जाएगी। सफलता पूर्वक पदक प्रदानकर्त्ता को कानूनी सहायता, जमानत और पुरस्कार का दायित्व पार्टी वहन करेगी। जो सदस्य जितना अधिक पदक प्रदान करेगा, उसे उसी अनुपात में पार्टी में महत्व, पद और प्रतिष्ठा दी जाएगी।
देश के समस्त नागरिकों से अपील है कि अधिक से अधिक संख्या में राष्ट्रीय तमाचा पार्टी की सक्रिय सदस्यता ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण के कार्य में सहयोग करें। एक करोड़ की सक्रिय सदस्यता के बाद हर क्षेत्र में शुभ परिवर्तन, सूर्योदय और सूर्यास्त की भांति अवश्यंभावी है।
हमारा नारा है -
तुम पदक दो - हम सुराज देंगे।
शुभस्य शीघ्रम्‌!

(तेजेन्द्र पाल सिंह)
महासचिव एवं पाद पदक प्रदानकर्त्ता
(प्रशान्त भूषण को)


Wednesday, November 9, 2011

पेट्रोल की बेलगाम कीमत और सरकार की संवेदनहीनता



वाकई अब हद हो गई। क्या अंग्रेजों की सरकार भी इतनी संवेदनहीन थी? शायद नहीं। आखिर यह सरकार किसकी है - पूंजीपतियों की, कारपोरेट घरानों की, तेल कंपनियों की या जनता की? सरकार का कोई भी प्रतिनिधि प्रथम तीन की सरकार होने की बात कभी भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर सकता। सड़क से लेकर संसद तक सरकारी मंत्री और सांसद अपनी सरकार को जनता की सरकार ही कहते हैं लेकिन यह सबसे बड़ा झूठ है। महंगाई से जनता की कमर टूट चुकी है, लोगबाग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं और राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन की नेता कांग्रेस अध्यक्ष अपने विदेशी दौरों पर सरकार यानि भारत की गरीब जनता के १८०० करोड़ रुपए फूंक चुकी हैं। सरकार की फिजुलखर्ची, भ्रष्टाचार, काला धन, अकुशल प्रबंधन, पूजीपतियों की हित-रक्षा, अमेरिका परस्त नीतियों, अदूरदर्शिता और जनता के प्रति घोर असंवेदनशीलता की चरम परिणति है पेट्रोल की कीमतों में बेलगाम वृद्धि। सुरसा के मुख की तरह बढ़ती महंगाई के भी यही मुख्य कारण हैं। पिछले डेढ़ साल में हमारी भ्रष्ट केन्द्रीय सरकार ने सात बार पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की। कीमत कब और कितनी बढ़ी, उसका व्योरा रुपयों में निम्नवत है -
तिथि वृद्धि कुल कीमत
२६.२.१० २.८६ ५०.५३४
२५.६.१० ३.७३ ५५.१८
१४.१२.१० ३.०० ५८.९५
१५.१.११ २.६६ ६१.७२
१५.४.११ ५.२७ ६६.९७
१५.९.११ ३.३१ ७०.५९
३.११.११ २.०१ ७२.६० (ये सभी कीमते वाराणसी में लागू हैं)
सरकार ने पता नहीं कौन सी अर्थव्यवस्था लागू की है जिसके कारण तेल कंपनियों को यह अधिकार प्राप्त हो गया है कि वे जब चाहें, जितना चाहें, घाटे का हवाला देकर कीमतें बढ़ा सकती हैं। समझ में नहीं आता कि यह स्वतंत्रता सिर्फ तेल कंपनियों को ही क्यों प्राप्त है? अगर यह स्वतंत्रता देश की बिजली कंपनियों को भी दे दी जाय, तो सभी बिजली बोर्ड फायदे में चलने लगेंगे, मोबाइल कंपनियों और बी.एस.एन.एल को दे दी जाय, तो वे अल्प समय में ही बेहिसाब मुनाफ़ा कमाकर दिखा सकते हैं, भले ही जनता की कमर टूट जाय। अलग-अलग कंपनियों के लिए अलग-अलग मापदंड और नीतियां क्यों? इस्पात, सेल बनाता है, मूल्य निर्धारण सरकार करती है। अनाज किसान पैदा करता है, समर्थन मूल्य सरकार तय करती है। तेल के मामले में मुक्त व्यापार की बात की जाती है, बाकी मामलों में सरकारी नियंत्रण की। आइये जरा एक नज़र डालें अपने पड़ोसी देशों में पेट्रोल की वर्तमान कीमत पर। कीमतें भारतीय रुपए में दिखाई गई हैं -
पाकिस्तान - २६
बांग्ला देश - २२
नेपाल - ३४
म्यामार - ३०
अफ़गानिस्तान - ३६
भारत - ७२.६०
एक ज्वलन्त प्रश्न है - क्यों अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ारों में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों का सर्वाधिक असर भारत पर ही पड़ता है?
भारत में पेट्रोल की कीमत इसलिए सर्वाधिक है क्योंकि हमारी सरकार विश्व की सबसे असंवेदनशील सरकार है। जनता की पीड़ा, दुःख, यातना, कष्ट या असुविधा के विषय में सोचने वाला इस सरकार में एक भी व्यक्ति नहीं है। सारी सोच आयातित है। मूल्यवृद्धि पर कांग्रेसमाता और युवराज की चुप्पी चौंकानेवाली है। वैसे सर्वसाधारण और देशहित में यह तथ्य बताना अत्यन्त आवश्यक है कि अपने देश में भी पेट्रोल की बेसिक कीमत मात्र रु.१६.५०/लीटर ही है। शेष राशि केन्द्रीय कर, एक्साइज ड्‌युटी, विक्री कर, राज्य कर और भ्रष्टाचार कर के रूप में सरकार हमारी जेबों से लेती है। देश का ८०% पेट्रोल मध्यम वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग के नागरिकों द्वारा ही उपयोग में लाया जाता है। इस वर्ग का सरकार पर सीधे कोई राजनीतिक दबाव नहीं है। इसके उलट ८०% डीजल की खपत करने वाले बड़े-बड़े कारखाने, पावर हाउस, ट्रान्सपोर्टर, पूंजीपति और भारतीय रेल है। किसान सिर्फ ५% डीजल की खपत करते हैं, लेकिन सरकार किसानों कि दुहाई देकर डीजल की कीमत नहीं बढ़ाती है। इसके पीछे असली कारण उद्योगपतियों और कारपोरेट घरानों की सरकार में असरदार घुसपैठ ही है। दो सौ साल तक हमें अंग्रेजों ने लूटा और आज़ादी के बाद कांग्रेस लूट रही है।
जागो जनता जागो!
जागो ग्राहक जागो!!

Monday, November 7, 2011

गंगा के लिए, गंगा किनारे, सांप्रदायिक सद्‌भाव का ऐतिहासिक सम्मेलन



ऐसी ऐतिहासिक घड़ियां बहुत कम ही आती हैं जब हिन्दू और मुसलमान एक साथ, एक ही स्वर में, एक ही मंच से एक ही बात कहें। ऐसी घड़ी का साक्षात्कार गंगा भक्तों ने किया - दिनांक ५ नवंबर को सायंकाल ६ बजे, काशी के ऐतिहासिक अस्सी घाट के नवनिर्मित महामना मालवीय घाट पर जब हिन्दुओं और मुसलमानों के शीर्ष धर्मगुरु गंगा महासभा द्वारा आयोजित एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन में एक साथ मंच पर विराजमान हुए। कांची कामकोटि के पीठाधीश्वर जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त रामकथावाचक श्री मोरारी बापू, हरिद्वार के स्वामी चिदानन्द महाराज मुनिजी, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक, लखनऊ के शाही इमाम मौलाना फ़जलुर्रहमान को मंच पर एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करते हुए देखना अत्यन्त सुखद था। स्वामी चिदानन्द जी द्वारा गंगोत्री से लाए पवित्र गंगाजल को जिस भक्ति भाव से मौलाना कल्बे सादिक ने ग्रहण किया, वह दृश्य अभूतपूर्व था। मां गंगा की पीड़ा को सबने एकसाथ समभाव से हृदय के अन्तस्तल से अनुभव किया। सबने एक स्वर से भारत सरकार से मांग की कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से गंगा एक्ट पास किया जाय। साथ ही गंगा को गंगा बनानेवाली अलकनन्दा और भागीरथी पर बन रहे बांधों को रोकने की भी प्रधान मंत्री से मांग की गई। कानपुर आई.आई.टी. के पूर्व प्रोफ़ेसर जी.डी.अग्रवाल, जो संन्यास लेने के बाद स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द हो चुके हैं, ने घोषणा की कि यदि मकर संक्रन्ति के पूर्व इन नदियों पर निर्माणाधीन बांधों पर निर्माण का कार्य नहीं रुका, तो वे १५ जनवरी से चौथी बार आमरण अनशन करेंगे। महामना मालवीय जी द्वारा स्थापित गंगा महासभा की ओर से सन्तों का यह समागम महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की १५०वीं जयन्ती-वर्ष के अवसर पर संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि गंगा महोत्सव और गंगा आरती से कुछ नहीं हासिल होना है। भारत का एक-एक नागरिक व्यवहारिक रूप में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प ले, तभी कुछ अच्छे परिणाम की कल्पना की जा सकती है। इस अवसर पर गंगाभक्तों को संबोधित करते हुए सन्त मोरारी बापू ने कहा कि १५०वीं जयन्ती का दसांश निकालें। १५ बिन्दु तैयार किए जाएं जिनपर गंगा के निमित्त राष्ट्रजागरण अभियान चले। प्रधान मंत्री को समग्र भारत की भावना का खयाल रखते हुए शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। लखनऊ से आए मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि जिस प्रकार लखनऊ से आनेवाली गोमती काशी से कुछ आगे औड़िहार में अपनी ही बहन गंगा से मिलकर एक हो जाती है और फिर एक होकर एक साथ आगे बढ़ती है, करोड़ों की प्यास बुझाती हैं, हजारों-लाखों एकड़ जमीन की सिंचाई करके करोड़ों टन अनाज पैदा कर करोड़ों के पेट भरती हैं, उसी प्रकार हम मुस्लिम अपने बड़े भाई हिन्दुओं के गले में बाहें डालकर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले सौ वर्षों में देश में एक भी मस्जिद न बने, एक भी मन्दिर न बने, एक भी गुरुद्वारा या गिरिजाघर न बने, उन्हें तनिक भी मलाल नहीं होगा, लेकिन गंगा समाप्त हो जाएगी तो उन्हें बहुत मलाल होगा, बेइन्तहां तललीफ होगी क्योंकि तब यह देश पाकिस्तान बन जाएगा। मेरी खुदा से गुज़ारिश है कि वे कभी भी हिन्दुस्तान को पाकिस्तान न बनने दें। गंगा से ही हिन्दुस्तान है। इसलिए गंगा को बचाना सभी हिन्दू-मुसलमानों का फ़र्ज़ है।
कैलाश-मानसरोवर पर चीन सरकार की अनुमति लेकर तीर्थयात्रियों के लिए विशाल धर्मशाला बनवाने वाले स्वामी चिदानन्द महाराज मुनि जी ने सुरसरि गंगा में व्याप्त प्रदूषण के कारण हो रही मौतों का रोंगटा खड़ा कर देने वाला विवरण दिया। उन्होंने सप्रमाण बताया कि देश में आतंकवाद से भी ज्यादा मौतें गंगा का प्रदूषित जल पीने से होती हैं। लखनऊ से पधारे वहां के शाही इमाम मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए बताया कि खुदा ने पानी के रूप में इस दुनिया को सबसे पाक चीज अता की है। कुरान के माध्यम से अल्लाताला ने यह हुक्म दिया है कि पानी को हमेशा पवित्र और साफ़सुथरा रखा जाय। खुदा के इस हुक्म को मानना हरेक मुसलमान के लिए जरुरी है। आज समूची मुस्लिम कौम हिन्दुओं के आगे शर्मिन्दा है जिसने वक्त रहते गंगा की बढ़ती दुश्वारियों की ज़ानिब उनका ध्यान नहीं दिलाया। यह गंगा ही है जिसमें स्नान करके हिन्दू पूजा-पाठ करता है और मुसलमान जिसके पानी से वज़ु करके नमाज़ पड़ता है। गंगा सिर्फ़ हिन्दू-मुसलमानों की ही नहीं, सारे हिन्दुस्तान की विरासत है, धरोहर है। हम हिन्दू और मुस्लिम अपनी भूल सुधारेंगे और साथ मिलकर गंगा को बचाएंगे। कांचिकामकोटि के जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती के आशीर्वचन से आयोजन को विराम दिया गया। इस अवसर पर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के पौत्र महामना मालवीय मिशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस गिरिधर मालवीय, समाजसेवी ओ.पी.केजरीवाल, महेश्वर त्रिपाठी, प्रेमस्वरूप पाठक आदि विभूतियों ने भी अपनी उपस्थिति से गंगाभक्तों का मनोबल बढ़ाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के ख्यातिप्राप्त अधिवक्ता और ‘गंगारत्न’ की उपाधि से सम्मानित श्री अरुण गुप्ता जी ने बताया की गंगा एक्ट का प्रारूप तैयारी के अन्तिम चरण में है। प्रयाग में जस्टिस गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में दिनांक २७ से ३१ दिसंबर तक होने वाली बैठक में इसे अन्तिम रूप देकर प्रधान मंत्री को सौंप दिया जाएगा।
दिनांक ५ नवंबर को अस्सी घाट पर गंगा महासभा द्वारा आयोजित सम्मेलन कई दृष्टियों से अभूतपूर्व था। हिन्दुओं के साथ मुसलमानों ने जिस उत्साह से कार्यक्रम में भाग लिया और गंगा को प्रदूषणमुक्त करने की प्रतिज्ञा ली, वह दृश्य दर्शनीय था। यह सम्मेलन भविष्य के लिए एक शुभ संदश दे गया - अखबारबाज़ी, चैनलबाज़ी, बयानबाज़ी करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला। हिन्दुओं और मुसलमानों की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसे दोनों समुदाय के धर्मगुरु एक साथ बैठकर हल नहीं कर सकें। जनता एकसाथ रहना चाहती है, धर्मगुरुओं के विचारों में भी काफी समानता है। बांटने का काम कभी जिन्ना और नेहरु ने किया था; आज सोनिया और मुलायम कर रहे हैं। राजनीति ने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है, इसके टुकड़े-टुकड़े किए हैं। हमें राजनीतिज्ञों से सावधान रहने की आवश्यकता है।