Tuesday, May 7, 2013

बेशर्मी की हद



क्या आज़ाद हिन्दुस्तान में इससे ज्यादा बेशर्म और भ्रष्ट सरकार आपने कभी देखी है? हमने तो नहीं देखी। एक बोफ़ोर्स दलाली के बाद नेहरू-गांधी परिवार की ऐसी बाट लगी कि आज तक यह परिवार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की तमाम कोशिशों और छटपटाहटों के बाद भी खुले रूप में वहां तक नहीं पहुंच पाया। पर्दे के पीछे से सत्ता का संचालन, बिना शक इसी परिवार के पास है, परन्तु बिना किसी जिम्मेदारी के। गुलामी मानसिकता के कांग्रेसी छाछ पीकर ही मस्त हैं, मलाई तो कोई और ही खा रहा है। बिचारे कांग्रेसी करें भी तो क्या? अपनी योग्यता या नेतृत्व के बल पर ये प्रदूषित पानी की भी पात्रता नहीं रखते हैं। मट्ठे में हिस्सेदारी पा जाना तो बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्या यह कम आश्चर्य का विषय है कि भारत का प्रधान मंत्री, जो जनादेश का दावा करता है, अपने पूरे कार्यकाल में जनता का प्रतिधित्व करने वाली लोकसभा का कभी सदस्य ही नहीं रहा। रीढ़विहीन नेताओं, मंत्रियो और दरबारियों से भ्रष्टाचार, घोटालों और घूसखोरी के अलावा और क्या उम्मीद की जा सकती है?

दिनांक ३१-१०-११ को स्विस बैंक कार्पोरेशन ने भारत सरकार को गोपनीय पत्र लिखकर भारत के दस सबसे बड़े उन जमाकर्ताओं की सूची भेजी थी जिनके नाम उस बैंक में ५ हज़ार करोड़ से ज्यादा रुपए जमा थे। उनकी खाता संख्या भी साथ में दी गई थी। संक्षिप्त विवरण निम्नवत है -

१. राजीव गांधी - १९८३५६ करोड़

२. ए. राजा - ७८५६ करोड़

३. हर्षद मेहता - १३५१२१ करोड़

४. शरद गोविन्दराव पवार - २८९५६ करोड़

५. पी. चिदंबरम - ३३४५१ करोड़

६. सुरेश कलमाडी - ५५६० करोड़

७. एम करुनानिधि - ३५००९ करोड़

८. केतन पारिख - ८२५६ करोड़

९. सी. जे. मोहिनी - ९६४५५ करोड़

१०. कलानिधि मारन - १५०९० करोड़

बैंक ने यह भी लिखा कि उपरोक्त खाते ब्कैकलिस्ट कर दिए गए हैं और सरकार ने अगर स्पष्ट विवरण ३१-०३-१२ तक नहीं दिया तो खाते प्रतिबन्धित कर दिए जायेंगे। भारत सरकार ने आज तक कोई उत्तर नहीं दिया। नतीज़ा यह निकला कि देश का हज़ारों करोड़ रुपया देश में नहीं आया। उस पर स्विस बैंक ने कब्ज़ा कर लिया।

२-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में प्राप्त कमिशनों को सही ढंग से ठिकाने लगाया गया। लाभार्थियों में वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष, उनकी बेटी-दामाद और बहनों के नाम शामिल हैं। कांग्रेस के शासन में नैतिकता, मर्यादा और ईमानदारी शब्दकोष के बाहर के शब्द हो चुके हैं। कांग्रेस हाई कमान लगातार दागी चेहरों और उनकी कुर्सियों का बचाव कर रही है। भ्रष्टाचार के जघन्य कृत्य करनेवाले नेता रसूखदार ओहदों पर आज भी काबिज़ हैं और नैतिक मूल्यों को मुंह चिढा रहे हैं। सोनिया गांधी, पी. चिदम्बरम, पवन बंसल, अश्विनी कुमार, शीला दीक्षित, पीजी कुरियन, राज कुमार चौहान, जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार, गुलाम नबी आज़ाद, खुर्शीद आलम, ई वाहनवती, नारायण दत्त तिवारी इत्यादि, इत्यादि सैकड़ों दागी चेहरे हैं, जिनपर करोड़ों ऊंगलियां खड़ी होने के बाद भी, कांग्रेस हाई कमान ने आंखें मूंद रखी है।

रेल मंत्री पवन बंसल का भांजा मंत्री के नाम पर ट्रान्सफ़र पोस्टिंग के लिए ९० लाख रूपए रिश्वत लेते हुए सीबीआई द्वारा रंगे हाथ पकड़ा जाता है, प्रधान मंत्री क्लीन चिट दे देते हैं। कानून मंत्री कोलगेट रिपोर्ट बदल देते हैं - सुप्रीम कोर्ट इस कुकृत्य के लिए फ़टकार लगाता है - सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती। पी चिदम्बरम २-जी स्पेक्ट्रम घॊटाले के मुख्य अभियुक्त हैं, उन्हें जेपीसी निर्दोष करार देती है। सलमान खुर्शीद विकलांगों का पैसा हज़म कर जाते हैं, उन्हें प्रोमोट कर विदेश मंत्री बना दिया जाता है। शीला दीक्षित प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त शुंगलू समिति द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटालों के लिए दोषी ठहरा दी जाती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई आंच नहीं आती है। उनके मंत्रिमंडल में शामिल राजकुमार चौहान को लोकायुक्त भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराते हैं, वे सीना ताने मंत्री बने हुए हैं। जगदीश टाइटलर ने सिक्खों का सरेआम कत्ल कराया। कांग्रेस के इशारे पर जांच एजेन्सी ने फाइल बन्द कर दी। अदालत ने दुबारा केस चलाने का आदेश दिया है। वह अभी भी कांग्रेस कार्यसमिति के सम्मानित सदस्य हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने चैंबर में एक महिला से कुकृत्य किया। पूरे देश ने इसकी सीडी यू-ट्यूब और विभिन्न चैनलों के माध्यम से देखा। कुछ दिनों तक तो वे मुंह छुपाए घर में रहे लेकिन फिर वे टीवी चैनलों पर कांग्रेस का चेहरा बनकर लौट आए हैं। ये सभी लोग कांग्रेस हाई कमान और हमारे ईमानदार प्रधान मंत्री के विशेष कृपापात्र और प्रियजन हैं।

जब कोठे पर बैठ गए, तो चीर-शील की क्या चिन्ता - कांग्रेस इसी सिद्धान्त के आधार पर, पूरे देश पर शासन कर रही है, न लाज, न शर्म।‘