भाजपा
के प्रधान मंत्री के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ़ ताल ठोंक रहे आप के संयोजक अरविन्द
केजरीवाल दिनांक १७-४-१४ को दिन भर बनारस और आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे।
उन्हें हर जगह खट्टे-मीठे और तीखे अनुभवों से गुजरना पड़ा। उनके साथ भ्रमण करने वाली
टीम में स्थानीय कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व लगभग शून्य था। वे हमेशा दिल्ली से आये
कार्यकर्ताओं के घेरे में ही रहे जो आप की टोपी लगाए थे। कई स्थानों पर उनको सुनने
वालों से अधिक भीड़ सुरक्षा बलों की थी। जिन स्थानों पर उन्होंने जनता से सीधा संवाद
स्थापित किया,
उनमें से कुछ के दृश्य -----
लंका
- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से लेकर अस्सी तक फैले क्षेत्र को लंका
कहा जाता है। विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में लंका से संबन्धित दृश्यों का मंचन कभी यही किया जाता था। इसीलिये इस जगह का नाम लंका
पड़ा जो आज भी अपरिवर्तित है। राजनीतिक दृष्टि से यह बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। यहां
से आप पूरे बनारस की नब्ज़ टटोल सकते हैं। अन्ना आन्दोलन के दौरान यहा २४ घंटे सभायें
हुआ करती थीं और वातावरण अन्ना और केजरीवाल के ज़िन्दाबाद के नारों से गूंजता रहता था।
भ्रष्टाचार के विरोध में नित्य ही प्रभात फेरी निकलती थीं और सायं जुलूस। लंका में
रविदास गेट पर बनारसी पान की सर्वाधिक चर्चित केशव पान भंडार है। यहां आकर पान खाना
बनारसी ग्लैमर का अंग बन चुका है। कई फिल्मी सितारे और राजनेता स्वयं चलकर केशव की
दूकान पर खड़े होकर पान खा चुके हैं जिनकी तस्वीरें दूकानदार ने बड़े करीने से अपनी दूकान
में लगा रखी है। ऐसे में केजरीवाल भला केशव की दूकान का पान खाने के लोभ से अपने को
कैसे रोक पाते?
वे पहुंच गये केशव पान भंडार, पान खाने। दूकान
पर हमेशा १५-२० लोगों की भीड़ रहती है। पान नंबर से ही मिलता है। केजरीवाल को भी पान
के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी। इस समय का उपयोग उन्होंने लोगों की राय जानने और नरेन्द्र
मोदी को गाली देने के लिये करना शुरु किया। देखते ही देखते माहौल गरम हो गया। मोदी
के लिये अभद्र भाषा का इस्तेमाल सुनकर स्थानीय जनता भड़क उठी। अरविन्द केजरीवाल को चप्पल-जूते
दिखाये गये, उनपर टमाटर और अंडे फेंके गये, उनके खिलाफ़ जबर्दस्त नारेबाज़ी आरंभ हो गई। डरकर केजरीवाल को बेसमेन्ट में शरण
लेनी पड़ी। अगर पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज नहीं
किया होता, तो कुछ भी अप्रत्याशित हो सकता था। पुलिस ने बड़ी कठिनाई
से उन्हें बाहर निकाला। केजरीवाल ने केशव की दूकान से मीठा पान खाया, सादा पान खाया या सूरती वाला कड़वा पान खाया, यह तो वही
जाने, लेकिन इस घटना की चर्चा मुंह में पान घुलाते हुए बनारसी
हफ़्तों करेंगे।
दिन
के समय केजरीवाल ने बनारस के गांवों का दौरा किया। भीषमपुर गांव में चौपाल के दौरान
केजरीवाल ने लोगों से पूछा कि कितने लोग नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते
हैं। अधिकांश लोगों ने हाथ उठाए, तो उन्होंने दूसरा सवाल जड़ा कि वे मोदी को क्यों
पसन्द करते हैं? इसपर किसी ने मोदी को डिसिजन मेकर, तो किसी ने क्षमता वाला नेता कहा। कुछ लोगों ने कहा कि वे भाजपा के पक्ष में
नहीं हैं लेकिन मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं क्योंकि वे
भारत का विकास चाहते हैं। केजरीवाल ने जब अपने बारे में जनता की राय पूछी तो लोगों
ने बेबाकी से कहा कि उनमें अनुभव और हिम्मत की कमी है। वे जिम्मेदारी संभालने के बदले
भागना पसन्द करते हैं। फिर क्या था दिल्ली से आए केजरीवाल के समर्थकों और स्थानीय लोगों
के बीच लहज़ा इतना सख्त हो गया कि माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए सुरक्षाकर्मियों
को चौपाल बीच में ही रुकवानी पड़ी।
गुरुवार
को ही जलालपुर,
रसूलहा, बरस्तां, बरियारपुर
और मुबारकपुर में भी केजरीवाल ने चौपाल लगाई। इस दौरान भी उन्हें तीखे सवालों का सामना
करना पड़ा। जलालपुर में बेरुका निवासी सत्य नारायण सिंह ने केजरीवाल से पूछा कि आपने
अपने बच्चों की कसम खाई थी, बावजूद इसके कांग्रेस से समर्थन क्यों
लिया? अरविन्द ने अपने उत्तर से उन्हें संतुष्ट करने का भरसक
प्रयास किया लेकिन बात और उलझती गई। सत्यनारायण के तेवर सख्त होने पर पुलिस ने उन्हें
चौपाल से बाहर कर दिया। केजरीवाल ने प्रत्येक चौपाल में मोदी पर सीधा हमला किया और
हर जगह उन्हें भयंकर विरोध का सामना करना पड़ा। सभी चौपालों में खास बात यह रही कि जन-संवाद
में अधिकतर लोग आप की टोपी पहने थे लेकिन सवाल-जवाब के दौरान उनका ही लहज़ा इतना सख्त
हो गया कि हर चौपाल में पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
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