मधुर मनोहर अतीव सुंदर यह सर्वविद्या
की राजधानी। तीनों लोकों से न्यारी यह नगरी बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर अवस्थित
है। सारी दुनिया में पाखंड की पूजा हो सकती है लेकिन यहाँ सत्यं शिवं सुन्दरम ही
पूजित है। काशी से चुनाव लड़ने के पहले अरविन्द केजरीवाल ने यही सोचा था कि दिल्ली
की तरह यहाँ की जनता को भी मूर्ख बना लेंगे लेकिन उनका यह दाव फिलहाल उल्टा पड़ रहा
है। काशी की जनता एक छठी इन्द्रिय भी रखती है जिससे वह पाखंडियों को देखते ही
पहचान लेती है और तदनुसार आचरण भी करने लगती है। केजरीवाल ने अन्ना का भरपूर दोहन
किया और प्रसिद्धि प्राप्त होते ही उन्हें दूध की मक्खी की तरह बाहर निकालकर फ़ेंक
दिया। दिल्ली के चुनाव में अपने बच्चों की कसम खाने के बावजूद भी कांग्रेस के
समर्थन से सरकार बनाई। दिल्ली विधान सभा के चुनाव में सबसे आगे आकर आटो वालों ने
चुनाव प्रचार किया। इस गरीब तबके के प्रत्येक व्यक्ति ने पेट काटकर पांच पांच सौ
रूपए आप के चुनाव फंड में दिए। केजरीवाल ने उनसे वादा किया था की सत्ता संभालते ही
ऑटो का किराया दूना कर देंगे, उनके लिए मुफ्त
आवास की व्यवस्था करेंगे, बिजली-पानी मुफ्त
देंगे और उन्हें पुलिसिया उत्पीडन से पूरी मुक्ति दिलाएंगे। अपने 49 दिनों के कार्यकाल में उन्होंने इस तबके के
लिए कुछ नहीं किया। वे एक भगोड़े साबित हुए। दिल्ली के आटो चालक लाली का केजरीवाल
को जड़ा गया थप्पड़ पूरे समुदाय के दिल में उबलते आक्रोश की अभिव्यक्ति मात्र था।
भारत की दुर्दशा के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी का विरोध करने के
बदले उन्होंने मोदी का विरोध करने का निश्चय किया। यहाँ वे पूरी तरह बेनकाब हो गए।
आज की तारीख में मोदी से अधिक लोकप्रिय कोई नेता नहीं है। वे भारत के उज्जवल
भविष्य के प्रतीक बन चुके हैं। भारत की जनता की आशा के वे एकमात्र केंद्र हैं।
उन्होंने चुनौतियाँ स्वीकार की है और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गुजरात में
विकास के नए-नए मापदंड स्थापित किये हैं। वे एक जांचे-परखे नेता हैं। देश की जनता
के मन में उनके प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास है। मोदी के माध्यम से देश के विकास
में सहभागी बनने के बदले केजरीवाल ने उनके अंध विरोध का फैसला लिया। यह फैसला भी
उनका अपना नहीं बल्कि मल्लिका-ए-हिंदुस्तान का फैसला था जिसे उन्होंने सर झुकाकर
स्वीकार किया। ऐसे रँगे सियार को काशी ने देखते ही पहचान लिया। उनका स्वागत लंका
के पान की दूकान पर चप्पलों से, कंपनी बाग में
सड़े अण्डों से तथा भीषम पुर में चहेट कर किया गया। काशी के तुलसी घाट पर बने संकट
मोचन मंदिर के गेस्ट हाउस से उन्हें निकाल बाहर किया गया। उन्हें रहने के लिए काशी
में कोई घर नहीं मिल पा रहा है। आजकल वे अमीठी में कुमार विश्वास का चुनाव प्रचार
कर रहे हैं।
गंगा के सुरम्य तट पर बसी काशी स्वयं
सुज्ञान, धर्म और सत्यराशि है। यह
सत्यशिक्षा का अनुपम केंद्र है। राजा हरिश्चन्द्र ने चांडाल के हाथों बिककर सत्य
की स्थापना की थी। वे केशव का पान खाने के लिए लंका नहीं जाते थे। महर्षि व्यास ने
यही वेदों की रचना की थी। गणेश जी के सहयोग से यही महाभारत और गीता की रचना की थी।
यह ब्रह्मविद्या की राजधानी है।मुक्तिपद को दिलानेवाले, सुधर्म पर चलानेवाले बुद्ध और शंकर की तपोभूमि है। गंगा,
वरुणा और अस्सी की सुरम्य धाराओं से घिरी
वाराणसी में पूर्वाग्रह मुक्त कबीर और तुलसी ने पवित्र स्नान किया है। यह
वाग्विद्या की राजधानी है। यहाँ प्रतीचि-प्राची का सुन्दर संगम है। यहाँ का काशी
हिन्दू विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माता महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रखर
देशभक्ति, उनकी हिम्मत और उनकी
शक्ति का प्रतीक है। यह कर्मवीरों की राजधानी है। यहाँ की गौरवशाली परम्पराएँ
राष्ट्र गौरव नरेन्द्र मोदी का कोटि-कोटि भुजाएं फैलाकर स्वागत कर रही हैं। बाबा
विश्वनाथ, बुद्ध, महावीर, शंकर, नानक, कबीर, व्यास, तुलसी, रविदास, कीनाराम, लाल बहादुर
शास्त्री और संपूर्णानंद की पुण्य आत्माएं नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद देने के लिए
आतुर हैं। यहाँ भगोड़े का क्या काम?
नए नहीं हैं ये ईंट पत्थर,
है विश्वकर्मा का कार्य सुन्दर;
रचे हैं विद्या के भव्य मंदिर,
यह कर्मविद्या की राजधानी।
No comments:
Post a Comment