Thursday, February 25, 2010

SACHIN

सचिन (एक दिवसीय मैचों में प्रथम द्विशतक लगाने के उपलक्ष्य में)

रनों का अम्बार या हिमालय पहाड़,
न भूतो भविष्यति, न आर है न पार.

हजारों हजार रन तिरान्बे सेंचुरी,
फिर भी हम प्यासे, इच्छाएं अधूरी.
तुमसे अपेक्षित शतकों का पूर्ण शतक,
खेलते ही जाओ, रुको नहीं अन्त तक.

खेलों के रत्न हो, रिकार्डों के कीर्तिमान,
आँखों के तारे हो, भारत की शान.

करोड़ों हों हर्षित, ऐसा तुम्हारा काम,
सचिन तेन्दुलकर -- सूरज सा तेरा नाम.

नचाता खिलाड़ियों को, शेन वार्न फिरकी पर,
सपने में रोता था, देख तुझे खिड़की पर.

गुगली पर उसकी लगाया जब छक्का,
थाम दिल बैठ गया, लगा ऐसा धक्का.

मुरली की मुरली, तुमने बजाई है,
दूसरे पर गेंद को सीमा दिखाई है.

थर्ड मैन के ऊपर से, अख्तर की बंपर को,
दर्शकों में भेजी है, छुआ जैसे कंकड़ को.

मैक्ग्रा की बाल पर, दर्शनीय कवर ड्राइव,
ओवर में चॊके - टू, थ्री, फोर, फाइव.

मुंबई में वे भी हैं - राज-बाल ठाकर,
मुंबई में ये भी हैं - सचिन-गावास्कर.

राजनीति तोड़ती है, उत्तर को दक्खिन से,
क्रिकेट है जोड़ती, पूरब को पश्चिम से.

भारत के रत्न हो, घोषणा ही शेष है,
रिणी तुम्हारा यह, भारतवर्ष देश है.

बी. के. सिन्हा, वाराणसी,
फोन नं. ०९४१५२८५५७५