Wednesday, June 24, 2015

२५ जून -- लोकतंत्र का काला दिवस

       आज भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस है। आज ही के दिन ४० साल पहले हिन्दुस्तान की मक्किका-ए-आज़म, निरंकुश तानाशाह इन्दिरा गांधी ने आपात्काल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटा था। भारत की सारी जनता (कांग्रेसियों, कम्युनिस्टों और चाटुकारों को छोड़कर) के मौलिक अधिकार रातोरात छीन लिए गए थे। लाखों नेता, जनता और छात्र जेल में ठूंस दिए गए थे। मैं तब बीएचयू का भुक्तभोगी छात्र था। ऐसी कोई रात नहीं होती थी जब छापा डालकर हास्टल से आर.एस.एस. विद्यार्थी परिषद और सयुस के कार्यकर्त्तओं को पकड़कर डीआईआर या मीसा में गिरफ़्तार करके जेल नहीं भेजा जाता हो। डा. प्रदीप, होमेश्वर वशिष्ठ, विष्णु गुप्ता, इन्द्रजीत सिंह, अरुण सिंह, दुर्ग सिंह चौहान, श्रीहर्ष सिंह, राज कुमार पूर्वे, गोविन्द अग्रवाल ............आदि आदि मेरे अनेक मित्र जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए - बिना किसी अपराध के।किसी का कैरियर तबाह हुआ तो किसी की ज़िन्दगी। कोई नपुंसक बना तो कोई अपाहिज़। बड़ी दुःखद दास्तान है एमरजेन्सी की। उन दिनों को याद करके आज भी मन पीड़ा से भर जाता है। कोई दूसरा देश होता, तो निरंकुश तानाशाह इन्दिरा गांधी के साथ वही सुलुक करता जो इटली ने मुसोलिनी के साथ, जर्मनी ने हिटलर के साथ, मिस्र ने मोर्सी के साथ, चीन ने गैंग आफ़ फ़ोर्स और पाकिस्तान ने भुट्टो के साथ किया। लेकिन हाय रे गुलाम मानसिकता की हिन्दुस्तान की जनता। तानाशाह को फिर से प्रधान मंत्री बना दिया, एक अनाड़ी पायलट को देश की बागडोर दे दी, एक विदेशी को राजमाता बना दिया और एक पप्पू को शहज़ादा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। फिर भी भारत के लोकतंत्र ने हार नहीं मानी, राष्ट्रवादियों ने घुटने नहीं टेके। देश विश्व-गुरु बनने की राह पर चल चुका है। इसे परम वैभव के शिखर पर पहुंचने से कोई भी वंशवादी, जातिवादी और विघटनकारी ताकत रोक नहीं सकती
                           तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें

Tuesday, June 23, 2015

हरिवंश बाबा (एक संस्मरण)


      हरिवंश बाबा मेरे अपने बाबा के परम मित्र थे। मेरे बाबा को मेरे बाबूजी के रूप में एक ही संतान थी; हरिवंश बाबा के कोई संतान नहीं थी। इसलिए वे मेरे बाबूजी को बहुत प्यार करते थे। मेरे बाबूजी जब इंटर में थे, तभी मेरे बाबा का देहान्त हो गया। मैंने अपने बाबा को देखा नहीं। हरिवंश बाबा को ही मैं अपना असली बाबा मानता रहा। उन्होंने भी मुझपर अपना स्नेह-प्यार, लाड़-दुलार लुटाने में कभी कोताही नहीं की। बड़ा होकर जब मैंने बी.एच.यू. के इंजीनियरिंग कालेज में एड्मिशन लिया तो एक दिन हरि बाबा ने मुझसे एक प्रश्न पूछा - बबुआ अब त तू काशी में पढ़ तार। उ भगवान शिव के नगरी ह। उहां बड़-बड़ विद्वान लोग रहेला। तहरा से जरुर भेंट भईल होई। इ बताव, भगवान के भोजन का ह? मैंने अपनी बुद्धि पर बहुत जोर दिया और उत्तर दिया - फल-मूल। उन्होंने कहा - नहीं। मैंने कहा - दूध, दही, मेवा, मलाई, मिठाई। "नहीं, नहीं, नहीं", उन्होंने साफ नकार दिया। मैं चुप हो गया। वे बोले - अगली छुट्टी में अईह तो जवाब बतईह। अपना गुरुजी से एकर उत्तर पूछ लीह। अगली छुट्टी में मैं घर गया। वे मृत्यु-शैया पर थे। मैं उनसे मिलने तुरन्त उनके घर गया। उन्होंने मुझे देखा, मंद-मंद मुस्कुराए और अपना पुराना प्रश्न दुहरा दिया। मेरे पास कोई उत्तर नहीं था। आंखों में आंसू लिए मैं उन्हें देखता जा रहा था। उन्होंने कहा - रोअ मत बेटा! हम मर जाएब, त तहरा हमार सवाल के जवाब ना मिली। एसे हमहीं जवाब देत बानी। ई  जवाब के गांठ बांध लीह। भगवान के भोजन अहंकार ह।

      मैंने उनके चरणों में अपना शीश रख दिया। कुछ ही क्षणों के बाद उनका देहान्त हो गया। मेरे हरिवंश बाबा बहुत कम पढ़े-लिखे थे। जीवन भर वे केवल तुलसी दास के रामचरित मानस का ही पाठ करते रहे। दूसरा कोई ग्रन्थ उन्होंने पढ़ा ही नहीं। कहते थे - दोसर किताब पढ़ेब, त सब गड़बड़ हो जाई। दुनिया में एसे भी बढ़िया कौनो किताब बा का?

Wednesday, June 10, 2015

श्री श्री १०८ अरविन्दो बाबा

       श्री श्री सोमनाथ भारती ‘आप’ की ४९ दिनी सरकार में कानून मंत्री थे। इस समय दिल्ली के मालवीय नगर के विधायक हैं। नाइजीरियाई महिलाओं से कथित बससलूकी के कारण काफी चर्चित रहे हैं। महिला अधिकार पर लंबे-चौड़े भाषण देते हैं; लेकिन स्वयं अपनी पत्नी की पिटाई करते हैं। स्वयं को एक मल्टी नेशनल कंपनी का कथित मालिक बताकर लिपिका से शादी करते हैं। समाज सुधार के नाम पर दहेज भी लेते हैं। घूमने-फिरने के लिए कार भी लेते हैं - अपनी कमाई से नहीं ससुर जी से। पोल खुलने पर पत्नी को पीड़ित करते हैं। श्री श्री सोमनाथ की पत्नी लिपिका ने दिनांक १० जून को दिल्ली पुलिस और महिला आयोग में अपने पति  के खिलाफ़ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की लिखित शिकायत दर्ज़ कराई और न्याय की मांग की। प्रख्यात न्यायमूर्ति श्री श्री १०८ अरविन्दो बाबा ने अपनी बतीसी खोल जुबान चलाने की कोई आवश्यकता नहीं समझी। यह जुबान तो सिर्फ नज़ीम जंग और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ़ चलती है।
श्री श्री जितेन्द्र सिंह तोमर - जितना बड़ा नाम उतना बड़ा काम - दिल्ली के कानून मंत्री (अब पूर्व मंत्री)। १९८५ से १९८८ तक दिल्ली के राजधानी कालेज के नियमित छात्र रहे। कालेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के अभिलेख इसकी पुष्टि करते हैं। अचानक वे रातो-रात फ़ैज़ाबाद पहुंच जाते हैं और राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से बी.एस-सी. की डिग्री हासिल कर लेते हैं। उनकी यात्रा का अगला पड़ाव भागलपुर (बिहार) होता है जहां से वे कानून की डिग्री (एल.एल.बी.) हासिल करके वापस दिल्ली लौट आते हैं और दिल्ली बार कौन्सिल में रजिस्ट्रेशन कराते हैं, फ़र्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर। प्रैक्टिस तो वे क्या खाक करते, श्री श्री १०८  अरविन्दो बाबा के शिष्य अवश्य बन जाते हैं। दिल्ली की ऐतिहासिक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार में कानून मंत्री भी बन जाते हैं। अवध विश्वविद्यालय  मंत्री जी के काले कारनामें की पुष्टि कर देती है। बोतल में बंद जिन्न बाहर आ जाता है। फिलहाल वे अंदर हैं। श्री श्री १०८ अरविन्दो बाबा अब मनमोहन बाबा के अनुयायी हो गए हैं - मौन व्रत पर हैं। हां, अपने चेलों को धरना-प्रदर्शन के लिए जरूर भेजा है।
वह दिन दूर नहीं जब सन्त फ़ोर्ड, साध्वी राजमाता और राष्ट्रीय संगठन सी.आई.ए. से प्राप्त धन और सहयोग का भी खुलासा हो जाएगा। तबतक चमत्कार से अपने हाथ से शहद टपकाते रहिए और कुर्सी से चिपके रहिए, अपने नटवर लालों के साथ - श्री श्री १०८ अरविन्दो बाबा।