Monday, November 29, 2010

राजमाता का राज जमाता

पिछले ३ नवंबर को दीपावली मनाने के लिए बच्चों के पास बंगलोर जा रहा था. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयर्पोर्ट से इंडियन एयर लाइंस की फ़्लाइट पकड़नी थी. समय से दो घंटे पहले ही पहुंचकर चेक इन की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, एक खाली कुर्सी देख बैठ गया. तभी उदघोषणा हुई कि इंडियन एयर लाइंस के पैसेंजर सुरक्षा जांच के लिए प्रस्थान करें. वाराणसी के पुराने एयरपोर्ट में सुरक्षा जांच के लिए मात्र एक ही मार्ग है, अतः देखते ही देखते लंबी लाईन लग गई. मैं ५५ पार कर चुका हूं. लगातार खड़े होने पर पैर और कमर में दर्द शुरू हो जाता है. अतः अपनी कुर्सी पर ही बैठा रहा. इंतज़ार कर रहा था कि लाइन ज़रा छोटी हो जाय तो मैं भी सुरक्षा जांच के लिए प्रस्थान करूं. लेकिन यह क्या? लाइन छोटी होने के बदले और बड़ी होने लगी. मज़बूरी में मुझे उठना ही पड़ा - लाइन में लग गया. चींटी की चाल से लाइन सरकने लगी. एक घंटे के बाद मैं जांच कर्मियों के सामने पहुंचा. पैर दर्द कर रहे थे और प्यास भी लग रही थी. तभी मेरी दृष्टि दाहिनी ओर लगे एक सूचना-पट्ट की ओर गई. उसपर भारत के उन अति विशिष्ट व्यक्तियों की सूची थी, जिन्हें सुरक्षा जांच से मुक्त रखा गया था. सुरक्षा जांच की पीड़ादायक प्रक्रिया से गुजरने के कारण स्वाभाविक रूप से मेरे अंदर यह जानने की उत्सुकता पैदा हो गई कि आखिर वे कौन-कौन से अति भाग्यशाली व्यक्ति हैं, जिन्हें घंटों लाइन में खड़ा होकर पसीना बहाने से हमेशा के लिए मुक्ति दे दी गई है. लगभग ढाई दर्ज़न अति विशिष्ट व्यक्तियों का लिस्ट में उल्लेख था -- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, प्रधान मंत्री, लोक सभा अध्यक्ष..............................................श्री राबर्ट बढेरा. लिस्ट में किसी का नाम नहीं लिखा था, पद ही लिखा था. सिर्फ़ एक आदमी का नाम लिखा था -- श्री राबर्ट बढेरा. बुढ़ापे में स्मरण शक्ति कुछ कमज़ोर हो जाती है, हालांकि मैं समाचार-पत्र नित्य पढ़ता हूं. मुझे याद ही नहीं आ रहा था कि आखिर ये मिस्टर बढ़ेरा हैं कौन? मैं अपने अज्ञान और अपनी उलझनों में खोया था कि सुरक्षा कर्मी ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा -- कहां खोए हैं मिस्टर? सुरक्षा जांच के लिए आगे बढ़िए. मैंने आगे बढ़ने के पहले उससे प्रश्न किया - क्या आप बताने का कष्ट करेंगे कि ये मिस्टर राबर्ट बढेरा कौन हैं, जिन्हें सुरक्षा जांच से परमानेंट मुक्ति मिली हुई है. वह मेरी अज्ञानता पर हंसा. फिर हिकारत से मुझे देखते हुए बोला - विचित्र आदमी हैं आप! देखने से तो पढ़े-लिखे मालूम पड़ते हैं. आपको इतना भी नहीं मालूम है कि बढेराजी, माननीया सोनिया गांधीजी के एकमात्र दामाद हैं? मुझे अपनी अज्ञानता पर अफ़सोस हुआ. खैर, मेरा नंबर आ चुका था. सुरक्षा जांच मुकम्मिल हुई. कोई आपत्तिजनक सामान नहीं मिला. मुझे अंदर जाने की इज़ाज़त मिल गई.
बात आई और गई, इसपर सोचने-समझने की कोई विशेष आवश्यकता तो थी नहीं, लेकिन क्या करूं, मेरा दिमाग फ़ालतू की बातों में कुछ ज्यादा ही उलझ जाता है. सोचने लगा - सुरक्षा जांच से मुक्त किए गए अति विशिष्ट व्यक्तियों के पदों का ही उल्लेख था सूची में. सिर्फ़ एक ही व्यक्ति का नाम लिखा था, आगे पीछे कोई पद नहीं लिखा था. यह नाम - राबर्ट बढेरा, राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के साथ लिखा जाना कुछ अटपटा सा लग रहा था. अचानक मेरे ज्ञान-चक्षु खुले. वैसे भी काशी में ज्ञान-प्राप्ति तो होती ही है. भगवान बुद्ध की तरह मुझे भी ज्ञान प्राप्त हो गया. मुझे अपनी सभ्यता-संस्कृति की याद आई. यद्यपि सब मन ही मन यह मानते हैं - जमाता दशमो ग्रह, लेकिन प्रत्यक्ष उसकी देवता की भांति पूजा करते हैं. श्री राबर्ट बढेरा वर्तमान सरकार की राजमाता श्रीमती सोनिया गांधी के एकमात्र राज जमाता हैं. उन्हें सुरक्षा जांच से छूट नहीं मिलेगी, तो तुम्हें मिलेगी मिस्टर बी. के. सिन्हा, बूढ़े खूसट! मेरी सारी उलझनें समाप्त हो गईं. विमान पकड़ने के लिए फिर लाइन में लग गया.

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