Friday, December 17, 2010

भारत सरकार या कठपुतली का खेल

पेट्रोल तीन रुपये महंगा हुआ. एयर लाइन्स ने किराया सात गुणा बढ़ाया. प्याज ५० रुपए किलो. दाल १०० रुपए किलो. चावल ५० रुपए किलो. नीरा राडिया ने मंत्रियों को विभाग बांटा. सोनिया गांधी ने जेपीसी की मांग खारिज़ की. बनारस में बम ब्लास्ट. दिल्ली में लड़की के साथ गैंग रेप. अमेरिका में भारतीय राजदूत के साथ अभद्रता. सेना भी घोटालों में. जम्मू और कश्मीर नहीं है भारत का अभिन्न अंग. चीन नहीं मानता अरुणाचल को भारत का हिस्सा. चीनी प्रधान मंत्री बेन जियाबाओ का दिल्ली में शानदार स्वागत.
भारत में सरकार है भी क्या? जमाखोर-पूंजीपति जब चाहें आवश्यक वस्तुओं की कीमत बढ़ाकर आम आदमी का जीना दूभर कर दें, माफ़िया-अपराधी जब चाहें, जहां चाहें किसी का भी शीलभंग कर दें, महंगाई चाहे आकाश छू ले, सरकार के कान पर अब जूं नहीं रेंगती. मनरेगा के सौ रुपयों से दस सदस्यों वाले परिवार का एक मुखिया क्या-क्या खरीद सकता है? चावल खरीदे, गेहूं खरीदे, दाल खरीदे, प्याज खरीदे, बच्चों की किताबें खरीदे, पत्नी की फटी साड़ी बदले या खांसती अम्मा के लिए च्यवनप्राश लाए. इस देश में किसकी सरकार चलती है - मनमोहन सिंह की या कारपोरेट घराने की? इंडिया शाइनिंग! मेरा भारत महान!
पौने दो लाख करोड़ रुपयों का २-जी स्पेक्ट्रम घोटाला. राजा खुलेआम घूम रहे हैं. आय से कई गुणा संपत्ति रखने वाले मुख्य मंत्री बने हुए हैं. अरबों रुपयों की हेराफेरी करने वाली सज़ायाफ़्ता पूर्व मुख्य सचिव तीन दिनों में ज़मानत पा जाती हैं. लाखों बेगुनाह, जिनके विरुद्ध अभीतक अभियोग पत्र भी अदालत में दाखिल नही किए गए हैं, वर्षों से जेलों में सड़ रहे हैं. न्याय अंधा होता है! समरथ के नहीं दोष गुसाईं.
पूर्व केन्द्रीय संचार मंत्री ए. राजा द्वारा मद्रास हाई कोर्ट के जज को प्रभावित करने से जुड़े विवाद के संदर्भ में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णन की टिप्पणी - मद्रास हाई कोर्ट के तात्काकीन चीफ जस्टिस गोखले के पत्र में किसी केन्द्रीय मंत्री का ज़िक्र नहीं था.
सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश एवं तात्कालीन मुख्य न्यायाधीश, मद्रास हाई कोर्ट, जस्टिस गोखले का उत्तर -
सच नहीं बोल रहे हैं पूर्व चीफ जस्टिस. चीफ जस्टिस के.जी.बालकृष्णन को भेजे गए पत्र के दूसरे पैरे में राजा का उल्लेख था.
जस्टिस रघुपति, मद्रास हाई कोर्ट - सच सामने आ गया है.
एक अन्य मामले में जस्टिस काटजू, न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी - इलाहाबाद हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार. अधिकांश जज भाई-भतीजावाद में लिप्त. अन्तरपरीक्षण आवश्यक.
शीशे के घरों में रहने वाले, दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते.
धृतराष्ट्र पांडु-पुत्रों को भी अपने पुत्रों की ही भांति प्यार करते थे, लेकिन विवश थे. पांडवों को लाक्षा गृह में जलने के लिए भेज दिया गया. भरी सभा में कुलवधू का चीरहरण किया गया. पांडवों को वनवास दे दिया गया. धृतराष्ट्र देखते रहे. नहीं, उन्होंने कुछ भी नहीं देखा. वे अंधे जो थे. महाभारत हो गया, सबकुछ नष्ट हो गया. हस्तिनापुर की गद्दी उन्होंने फिर भी नहीं छोड़ी. वे हस्तिनापुर की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध जो थे.
श्री मनमोहन सिंह भले आदमी हैं. सीधे सच्चे इन्सान हैं. ईमानदार भी हैं. अच्छे प्रधान मंत्री हैं. मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के बवाल में नहीं पड़ते. इस मामले में नीरा राडिया उनकी मदद करती हैं. उन्हें भ्रष्टाचार पसंद नहीं, लेकिन ए. राजा अच्छे लगते हैं. मैदानी इलाकों में इस्लामी आतंकवाद और पहाड़ी इलाकों में लाल सलाम का राज है. गृह मंत्री को पूरी आज़ादी है. उन्हें कुछ कह नहीं सकते. दिग्विजय को शहीद करकरे का सारा रहस्य मालूम है, प्रधान मंत्री अनजान. महंगाई रोकना वित्त-मंत्री का काम, सीमा विवाद विदेश मंत्रालय के नाम. प्रधान मंत्री का मुख्य काम - बराक ओबामा और वेन जियाबाओ को स्वागत पैगाम. १०, जनपथ में सारे लगाम. लोकतंत्र (राजतंत्र?) तुझे सलाम! संसदीय प्रणाली (परिवारवाद?) तुझे प्रणाम!!

1 comment:

  1. Your article precisely summarizes the debacle India is in currently. One of the most horrific and darkest truths to come out in public is the corrupt face of judiciary,one which is deemed to be the strongest pillar of democracy. In one of the Nira Radia tapes a bureaucrat reveals that one of the High court judges had fixed a judgment a month prior to its official declaration for a sum of 9 crores. Politicians are considered to be corrupt, bureaucrats are known to be hand in glove with the politicians,police is considered to be political servants,government departments are known for taking bribes, even the cricket players have not been spared from the malaise of corruption but to know that even the guardian of our constitution too is a complicit in stripping it naked is nothing but appalling. It just adds to the frustration of a hard working citizen who, already under the burden of rampant corruption, realizes that what he/she considers a temple of justice has been breached and the so called priests of this sacred institution are none other but the devils themselves.

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