Friday, December 31, 2010

वी.वी.एस.लक्ष्मण - टीम इंडिया के संकटमोचक

वी.वी.एस.लक्ष्मण को ऐसे ही वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण नहीं कहा जाता है, वे इस नाम के पूरी तरह हकदार भी हैं. जब टीम इंडिया के सारे दिग्गज तेज गेंदबाजों की गति और स्विंग तथा फिरकी गेंदबाजों की स्पिन पर डांस करते हुए पेवेलियन की राह पकड़ते हैं, तब यह अद्भुत बल्लेबाज़ गज़ब की एकाग्रता और इच्छाशक्ति के साथ तबतक क्रीज पर टिका रहता है, जबतक टीम की जीत सुनिश्चित नहीं हो जाती. वहीं पिच, वही गेंद, वही उछाल, लेकिन जब लक्ष्मण क्रीज पर हों, तो दुनिया के सारे गेंदबाज़ बेबस नज़र आते हैं. हिन्दुस्तान के दूसरे बल्लेबाज़ भी खेलते हैं -- मैच बचाने के लिए, हार के अंतर को कम करने के लिए, लेकिन लक्ष्मण खेलते हैं, सिर्फ़ जीत के लिए. संकट के समय उनका खेल विशेष रूप से निखर जाता है. वे जिस विश्वास और परफेक्शन के साथ खेलते हैं, वह दर्शनीय होता है. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसा खिलाड़ी इसके पूर्व कभी नहीं देखा गया. असंभव को संभव कर दिखाने का नाम है, वी.वी.एस.लक्ष्मण.
गत २९ दिसंबर को भारत ने दक्षिण अफ़्रीका के विरुद्ध जो असंभव सी जीत दर्ज़ की, उसके नायक लक्ष्मण ही थे. स्टेन की उछाल और स्विंग लेती कहर बरपाती गेंदों पर जब भारत के रिकार्डधारी बल्लेबाज़ बेबस नज़र आ रहे थे, तब लक्ष्मण ने कमान संभाली. दूसरी पारी में उनके द्वारा बनाए गए ९६ रनों ने भारत की जीत की इबारत लिख दी. वे शतक बनाने से सिर्फ़ ४ रनों से चूक गए, लेकिन उनके ९६ रन कई द्विशतकों से बड़े थे. लक्ष्मण ने ऐसा करनामा कोई पहली बार नहीं किया है. इसी वर्ष जुलाई के महीने में, लंका में लंका के विरुद्ध चौथी पारी में जब टीम इंडिया जीत के लिए २५७ रनों का पीछा करते हुए ६२ रन पर ४ विकेट गंवाकर लड़खड़ा चुकी थी, तब लक्ष्मण ने क्रीज़ पर कदम रखा. जिस गेंदबाज़ी के आगे भारत की बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह ढह रही थी, वही लक्ष्मण के आगे नतमस्तक थी. लक्ष्मण ने न सिर्फ़ शतक लगाया, बल्कि टीम इंडिया को जीत भी दिलाई. इसी वर्ष सितंबर के महीने में मज़बूत आस्ट्रेलिया के विरुद्ध भी पुरानी कहानी दुहराई भरोसेमंद लक्ष्मण ने. चौथी पारी में भारत को जीत के लिए २१६ रनों की ज़रुरत थी और भारत का स्कोर था, ८ विकेट पर १२४ रन. संभावित हार सामने खड़ी थी, लेकिन कभी हार न माननेवाले लक्ष्मण क्रीज़ पर थे. वे पूरी तरह फिट भी नहीं थे. चोटिल लक्ष्मण पेन किलर, इंजेक्शन और रनर लेकर खेलते रहे. टेल एंडर ईशांत और ओझा के साथ उस पराक्रमी बल्लेबाज़ ने न केवल अपनी अद्भुत प्रतिभा प्रदर्शित की, बल्कि शतक लगाकर भारत को जीत का एक अविस्मरणीय तोहफ़ा दिया. वर्षों पूर्व, फ़ालोआन के बाद उतरी टीम इंडिया के लिए नंबर एक आस्ट्रेलिया के खिलाफ़ कलकत्ता के इडेन गार्डेन में उनके द्वारा बनाए गए २८४ रनों की ऐतिहासिक पारी को कौन भूल सकता है! लक्ष्मण की बड़ी पारी ने हमेशा भारत को जीत से नवाज़ा है. उन्होंने हमेशा लगभग हारी हुई लड़ाई को जीत में तब्दील किया है. उन्हें क्या कहा जाय -- अद्वितीय, महान! प्रतिभावान, धैर्यवान!! सारे विशेषण उनके लिए छोटे पड़ेगें. उन्हें सिर्फ़ सलाम किया जा सकता है.

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