Monday, December 27, 2010

मालवीय राग

महामना मालवीय जयन्ती (पौष कृष्ण ८, संवत २०६७, तदनुसार २८.१२.२०१०) के अवसर पर
पौष कृष्ण, ८, संवत २०६७ तदनुसार २८.१२.२०१० को पूरा देश महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की १४९वीं जयन्ती मना रहा है. महामना की १५०वीं जयन्ती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने और महामना के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों से राष्ट्र को परिचित कराने के लिए भारत सरकार ने सन २०११ को महामना जन्म शताब्दी वर्ष घोषित किया है तथा इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय भी लिया है. इसके लिए प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन भी किया जा चुका है.
विलक्षण प्रतिभा के धनी पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म २५ दिसम्बर १८६१ को हुआ था. अपने जीवन काल में ही किंवदन्ती बन चुके महामना मालवीय चार बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अतुलनीय था. चौरी चौरा कांड के बाद जब कांग्रेस ने क्रान्तिकारियों की भर्त्सना करते हुए अपना आन्दोलन वापस ले लिया, तब महामना ने सार्वजनिक रूप से क्रान्तिकारियों का समर्थन किया. वर्षों पूर्व वकालत के पेशे को स्वतन्त्रता आन्दोलन की वेदी पर अर्पित कर देने के बाद महामना ने चौरी चौरा कांड के अभियुक्तों को बचाने के लिए फिर से काला कोट पहना और अपने जोरदार तर्कों से १५० से ज्यादा निरपराधियों को फाँसी के फ़न्दे से बचा लिया. उनका पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित था. छूआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए उन्होंने कई सफल आन्दोलन चलाए. महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. भारत और विश्व को उनका सबसे बड़ा योगदान है, सन १९१६ में उनके द्वारा स्थापित एसिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय -- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, जिसे आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है. इंडिया टूडे ने अपने ताजा सर्वे में सबसे अधिक मौलिक शोधों एवं शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर भारत के दस सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची प्रकाशित की है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय उसमें नंबर एक पर विद्यमान है. इसी विश्वविद्यालय की एक प्रतिभाशाली संगीत शिक्षिका ने इस वर्ष एक अनोखा कार्य किया है. डा. ॠचा कुमार, जो संगीत विभाग में रीडर के पद पर कार्यरत हैं, ने ‘मालवीय राग’ के नाम से एक विशेष राग की रचना की है. शास्त्रीय संगीत विशारद डा. ॠचा कुमार हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ-साथ महामना मालवीय मिशन और संसकृति शोध एवम प्रकाशन ट्रस्ट, वाराणसी से भी जुड़ी हैं. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला इतिहास एवं पर्यटन प्रबंधन के पूर्व विभागाध्यक्ष तथा महामना मालवीय मिशन, वाराणसी के अध्यक्ष प्रोफेसर दीनबन्धु पांडेय से प्रेरणा और प्रोत्साहन पाकर डा. ॠचा कुमार ने मालवीय राग की रचना की जिसे उन्होंने पहली बार दिनांक २५.१२.२०१० को महामना की १४९वीं जयन्ती के अवसर पर महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित मालवीय जयन्ती कार्यक्रम में समारोहपूर्वक प्रस्तुत किया. स्थान था - नई दिल्ली में दीन दयाल मार्ग पर स्थित नवनिर्मित महामना मालवीय स्मृति भवन. कर्यक्रम के मुख्य अतिथि थे भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री कृष्णमूर्ति और अध्यक्ष थे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री भीष्म नारायण सिंह.
‘मालवीय राग’, शुद्ध धैवत विभास और अहीर भैरव को आधार मानकर रचा गया है. यह महामना के धीर, गंभीर, उदात्त और तेजोमय व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर बनाया गया है. राग का पूर्वांग शान्त, धीर, गंभीर और उत्तरांग उदात्त एवं तेजोमय स्वरूप का सहज, सुन्दर, कर्णप्रिय और प्रभावी प्रस्तुतीकरण है. संगीत के मर्मवेत्ताओं ने इस राग की भूरि-भूरि प्रशंसा की है. महामना मालवीय के जन्म-शताब्दी वर्ष में इस अद्भुत राग की रचना हिन्दुस्तानी संगीत को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की ओर से एक महान भेंट है.
डा. ॠचा कुमार, रीडर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रोफेसर दीनबन्धु पांडेय एवं महामना मालवीय मिशन, वाराणसी को इस अविस्मरणीय कार्य के लिए ढ़ेरों बधाइयां!

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