Tuesday, January 21, 2014

आओ धरना-धरना खेलें

सत्ता पाये भ्रष्टों के बल,
मुंह तो अब छुपाना है,
मूर्ख बनाओ जी भर-भर के,
धरना एक बहाना है।
जी भर नूरा कुश्ती खेलें,
आओ धरना-धरना खेलें। (१)
झुंझलाकर के सड़क पर बैठे,
मुझे छोड़कर सभी चोर हैं,
एक उठे पराये पर जब,
तीन ऊंगलियां अपनी ओर हैं।
भ्रष्टातंकी पाले चेले --
आओ धरना-धरना खेलें। (२)
कहां गई सस्ती बिजली,
कहां गया मुफ़्ती पानी,
कहां गया वह लोकपाल,
कहां गया झूठा दानी?
देखें दिल्ली कबतक झेले --
आओ धरना-धरना खेलें। (३)
नगर देहली रोटी सेके,
गाज़ियाबाद में चूल्हा,
बाराती हैं रजधानी में,
गायब रहता दूल्हा।
सड़क जाम लगायें ठेले --
आओ धरना-धरना खेलें। (४)
पेट नहीं भरता भाषण से,
दशकों से सुनते आये हैं,
झूठे वादे, झूठे सपने,
अबतक हम इतना पाये हैं।
कड़वा थू-थू, मीठा ले लें --

आओ धरना-धरना खेलें। (५)

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