Monday, May 2, 2011

पाकिस्तान बेनकाब

आज सवेरे लगभग डेढ़ बजे (दिनांक ०२-०५-२०११) को अमेरिकी सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से मात्र ६६.७७ किलो मीटर की दूरी पर स्थित एबटाबाद शहर में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. यह समाचार संसार के सभी न्यूज चैनलों की सुर्खियां बना हुआ है. अमेरिका का दावा है कि उसने इस अभियान में पाकिस्तानी सरकार, सेना या आई.एस.आई की कोई मदद नहीं ली. अमेरिका और पाकिस्तान हमेशा से झूठ बोलते रहे हैं. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद यदि विश्व में सबसे ज्यादा पाकिस्तान में फल-फूल रहा है, तो यह भी उतना ही सच है कि आतंकवाद को अमेरिका ने भी तबतक संरक्षण दिया, जबतक वह खुद इसका शिकार नहीं बना. ओसामा बिन लादेन अमेरिका का ब्रेन चाइल्ड था. रुस के खिलाफ़ १९८३ से १९८९ तक अमेरिका ने उसका इस्तेमाल अपने हितों के लिए अफ़गानिस्तान में किया. तालिबान और अल कायदा के आतंकवादियों को अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ़ प्रशिक्षण दिया, बल्कि आर्थिक मदद भी की. ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने ही भस्मासुर बनाया. अमेरिका इस्लामी आतंकवाद के खतरों को भांपने में पूरी तरह असफल रहा. उसके अनुसार भारत और रुस के खिलाफ़ आतंकवाद ज़ेहाद (धर्मयुद्ध) कहलाता है और अमेरिका के विरुद्ध आतंकवाद घृणित अपराध. अमेरिका ने हमेशा दोहरा मापदंड अपनाया है जिसका कुपरिणाम इस्लामिक आतंकवाद के रूप में पूरे विश्व को भुगतना पड़ रहा है. रुस के चेचेन्या में इस्लामी आतंकवाद को अमेरिकी समर्थन जगजाहिर है. दुनिया के दारोगा बने अमेरिकी राष्ट्रपति ने बड़े गर्व से घोषणा की है कि लादेन के खात्मे में उन्होंने पाकिस्तानी फ़ौज़, सरकार या आई.एस आई. की कोई मदद नहीं ली है. इस काम को उन्होंने अपने बलबूते, अपनी खुफ़िया एजेन्सी की पुख्ता सूचना के आधार पर अंजाम दिया. इससे बड़ा झूठ और हो ही नहीं सकता. एबटाबाद शहर मुख्य रूप से पाकिस्तानी सेना के अवकाश प्राप्त उच्च अधिकारियों द्वारा बसाया गया शहर है. उसमे सेना के रिटायर्ड जनरल सहित सैकड़ों उच्चाधिकारी रहते हैं. वह पाकिस्तान के सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त शहरों में से एक है. लादेन का आवास मध्य शहर में स्थित एक किलानुमा तीन मंजिले भवन में था जिसकी चहारदीवारी १८ फ़ीट ऊंची थी. पाकिस्तान की राजधानी से मात्र ६० किलो मीटर की दूरी पर अमेरिका इतना बड़ा सैन्य अभियान सफलता पूर्वक करे और पाकिस्तानी सरकार को इसकी तनिक भी भनक न हो, इसपर कोई मूर्ख ही विश्वास कर सकता है. राष्ट्रपति ओबामा यह झूठ सिर्फ़ इसलिए बोल रहे हैं कि पाकिस्तानी सरकार को अल कायदा के सीधे आक्रमण और आक्रोश से बचाया जा सके. इसमें वे कितना सफल होंगें, यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा.
पाकिस्तान एक सार्वभौमिक देश है, इसपर अब सन्देह होने लगा है. वह अब अमेरिका का एक उपनिवेश बन चुका है. अमेरिका जब चाहे, जहां चाहे, जिस तरह चाहे, पाकिस्तान की सार्वभौमिकता को तार-तार कर सकता है, पाकिस्तान चूं भी नहीं कर सकता. वह अपने मकड़जाल में बुरी तरह उलझ चुका है. कहने के लिए वह एक आणविक शक्ति है लेकिन उसके सभी आणविक संयंत्र और हथियार अमेरिका की निगरानी में हैं. अमेरिकी सेना पाकिस्तान के किसी भी भूभाग में बेखटके सैन्य अभियान चला सकती है, ड्रोन विमानों से कहीं भी कहर ढा सकती है. जिस ओसामा बिन लादेन को पिछले दस साल से पाकिस्तान ने दामाद की तरह सम्मान के साथ सैन्य सुरक्षा में रखा था, उसे अचानक अमेरिका को सौंपने के पीछे कितनी बड़ी मज़बूरी और कितना बड़ा दबाव रहा होगा, आसानी से समझा जा सकता है. सारे संसार से पिछले दस वर्षों से पाकिस्तान लगातार झूठ बोल रहा था कि लादेन पाकिस्तान में मौजूद नहीं है. तथ्य यह है कि वह पाकिस्तान के सबसे सुरक्षित स्थान में शानोशौकत से रह रहा था. उसकी हर तीन दिन के बाद डायलिसिस कराई जाती थी. पाकिस्तान के हुक्मरान दुनिया और अपनी जनता को कौन सा मुंह दिखाएंगे. सन १९७१ के बाद पाकिस्तान की यह सबसे बड़ी और शर्मनाक हार है. उसका चेहरा बेनकाब हो चुका है. जितना जल्दी हो सके, संयुक्त राष्ट्रसंघ को उसे आतंकवादी देश घोषित कर देना चाहिए. भारत की विदेश नीति की यह परीक्षा की घड़ी है. दाऊद इब्राहीम भी पाकिस्तान में ही छुपा है. क्या भारत अमेरिका जैसी कारवाई कर सकता है? क्या भारत को पाक अधिकृत कश्मीर और सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने का अधिकार नहीं है? मनमोहनी सरकार शायद ही इतना साहस संजो सके. उसे अफ़ज़ल गुरु और कसाब को ब्रियानी खिलाने से फ़ुर्सत कहां?

No comments:

Post a Comment