Wednesday, August 29, 2012

सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और गुजरात




हिन्दू धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि ऐसा कोई अक्षर नहीं, जिससे कोई मन्त्र न बना हो और ऐसा कोई दिन नहीं, जिसमें शुभ घड़ी न हो। इसी प्रकार अब यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं जहां प्राकृतिक संपदा उपकब्ध न हो। अपने देश के गुजरात प्रान्त ने पिछले १० वर्षों में पूर्व में गुजरात के लिए अभिशप्त वस्तु को अपने लिए वरदान में परिणत कर, इसे सिद्ध किया है। गुजरात प्रान्त सदियों से दो प्राकृतिक अभिशापों से त्रस्त था - पहला सूर्य की प्रखर किरणों के कारण बढ़ते रेगिस्तानी इलाकों से और दूसरा १६०० किलोमीटर के हिन्दुस्तान के सबसे लंबे समुद्री तट से। गुजरात में पूरे वर्ष लगभग ३०० दिनों में आकाश साफ रहता है और सूर्यदेव अपनी पूर्ण प्रखरता से पृथ्वी पर अपनी किरणें प्रेषित करते हैं। पूरे गुजरात में जल का अभाव था। परिणाम यह निकला कि कच्छ का रेगिस्तानी क्षेत्र बढ़ने लगा। कच्छ की महिलाएं कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी पैदल चलकर लाती थीं। लेकिन नर्मदा पर सरदार सरोवर और उससे निकलीं नहरों के कारण गुजरात की तस्वीर ही बदल गई। सरदार सरोवर से निकली नहरों के कारण कच्छ के प्रत्येक गांव और घर में आज की तिथि में पर्याप्त जल उपलब्ध है। सूर्य से मुफ़्त में मिलनेवाली सौर ऊर्जा का उपयोग करने का गुजरात ने मन क्या बनाया, देश-विदेश के कई निवेशकों ने कई सौर ऊर्जा केन्द्र स्थापित कर दिए। गुजरात के पास सौर ऊर्जा से १०००० मेगावाट बिजली-उत्पादन की क्षमता है। राज्य सरकार ने Renewable Energy programme का क्रियान्यवन अत्यन्त गंभीरता से किया है। गुजरात एनर्जी डेवलेपमेन्ट एजेन्सी (GEDA) ने इस क्षेत्र में ६१२८९ करोड़ रुपए के देशी/विदेशी निवेशकों से ७७६१ मेगावाट, सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हेतु ६६ एग्रीमेन्ट किए हैं। जून, २०१२ तक ६९० मेगावाट का विद्युत उत्पादन आरंभ हो चुका था। और आगामी दिसंबर तक पावर ग्रिड में सौर विद्युत के ३०० मेगावाट और जुड़ जाएंगे। अन्तिम लक्ष्य १०००० मेगावाट सौर विद्युत ऊर्जा का है। 
गुजरात के पाटन जिले के चरंक गांव में ३०० एकड़ की ऊसर जमीन पर एशिया के सबसे बड़े सोलर पार्क - गुजरात सोलर पार्क की स्थापना की गई है। भारत में अपने तरह का यह अनोखा पार्क २१४ मेगावाट की सौर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। प्रदेश के तेरह और जिलों में सोलर पार्क बनाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इसके कारण राज्य को ४७६ मेगावाट की बिजली प्राप्त होगी। गांधी नगर को आधुनिक सोलर सिटी भी कहा जाने लगा है। इस शहर के आवासीय क्षेत्रों के बड़े-बड़े मकानों की खुली छतों पर सोलर रूफ लगाए गए हैं जिससे ५ मेगावाट की बिजली प्राप्त होती है। अन्य पांच महानगर - सूरत, बदोदरा, राजकोट, भाव नगर और मेहसाना भी सोलर रूफ के लिए चयनित हो चुके हैं। जिस गति से सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा के उत्पादन का कार्य चल रहा है, उससे यह प्रबल आशा बंधती है कि आगामी ५ वर्षों में गुजरात १०००० मेगावाट के अपने सौर विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त कर लेगा। 
इसी तरह गुजरात ने अपने १६०० किलोमीटर लंबे समुद्री तटों से तेज रफ़्तार से आती हुई हवा से भी विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए हैं। गुजरात के पास विंड पावर जेनेरेशन की १०००० मेगावाट की क्षमता है। राज्य सरकार ने कई विंड मिल लगाकर अबतक अपने पावर ग्रिड में २९३४ मेगावाट जोड़ भी दिया है। ये सारे कार्य गुजरात ने केन्द्र सरकार के असहयोग और बिना किसी वित्तीय सहायता के अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के सहारे स्वयं और देशी/विदेशी निवेशक जुटाकर पूरे किए हैं।
सौर ऊर्जा और हवाई ऊर्जा (Solar Energy & Wind Power EnergY)  को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। ९०% विश्वसनीयता से विद्युत उत्पादन करने वाले ऐसे सभी संयंत्र प्रर्यावरण-मित्र होते हैं। 
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी कोई इंजीनियर नहीं हैं लेकिन उनके पास जवाहर लाल नेहरू और ए.पी.जे. कलाम की तरह एक दृष्टि (Vision) है। उनकी दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प के कारण गुजरात  सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के अतिरिक्त अपनी ४६९० मेगावाट की तापीय बिजली तथा सरदार सरोवर की १४५० मेगावाट की पनबिजली के बल पर बिजली के डिमांड और सप्लाई के बीच की चौड़ी खाई को पूर्णतः पाटने में सफल रहा है। जब सारा हिन्दुस्तान बिजली की कमी का रोना रो रहा हो, उसी समय गुजरात के प्रत्येक गांव और शहर में चौबीस घंटे की निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुखद आश्चर्य से कम नहीं है। अगस्त के प्रथम सप्ताह में ग्रिड से अत्यधिक बिजली लेने के कारण उत्तरी, पूर्वी और पूर्वोत्तर का नेशनल पावर ग्रिड दो दिन के अन्तराल पर दो बार फेल हुआ लेकिन पश्चिमी ग्रिड पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि गुजरात के पास अपनी आवश्यकता से अधिक बिजली उपलब्ध है। पिछले २०, अगस्त को गुजरात १३३५४ मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा था, लेकिन आवश्यकता मात्र १०००० मेगावाट की थी। थर्मल बैकिंग द्वारा उत्पादन कम करके फ़्रिक्वेन्सी मेन्टेन की गई। आज भी अधिक उत्पादन के कारण ५ पावर प्लान्ट बंद हैं। ऐसा सिर्फ विकसित देशों में होता है। विकासशील या पिछड़े देशों के लिए यह घटना मात्र एक कल्पना है। 
उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए गुजरात की वर्तमान पावर पोजिशन  एक आश्चर्यजनक घटना हो सकती है, लेकिन यह सत्य है। यू.पी. और बिहार, दोनों राज्यों के मुख्य मंत्री इंजीनियरिंग स्नातक हैं। दोनों ही राज्यों में संसाधनों की भी कोई कमी नहीं है; कमी मात्र दृष्टि (Vision) और सुशासन (Good Administration) की है। यही बात पूरे भारत पर भी लागू होती है।
    (सभी आंकड़े वाइकीपीडिया से साभार)

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