Thursday, September 6, 2018

माब लिंचिंग

     पूरे विश्व का मनुष्य तीन गुणों से युक्त है। वे हैं -- तमो गुण, रजो गुण और सत्व गुण। मनुष्य के रहन-सहन, खान-पान और व्यवहार में भी तीनों गुण परिलक्षित होते हैं। इन तीन गुणों की की व्यक्ति में उपस्थिति का अनुपात ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण करता है। कम या अधिक मात्रा में ये तीनों गुण सदैव विद्यमान रहते हैं। इसीलिए गीता में भगवान्‌ श्रीकृष्ण ने अर्जुन को तीनों गुणों से परे अर्थात गुणातीत होने का परामर्श दिया है। ईश्वर की प्राप्ति के लिए गुणातीत होना अत्यन्त आवश्यक है, परन्तु व्यवहारिक जीवन में गुणातीत होना असंभव तो नहीं लेकिन अत्यन्त दुष्कर अवश्य है। क्रोध और हिंसा रजो गुण के अंग हैं जो प्रत्येक मनुष्य की स्वभाविक प्रवृत्ति है। माब लिंचिंग या भीड़ की हिंसा इसी की देन है। मनोवैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह निश्कर्ष निकाला है कि हर व्यक्ति, चाहे वह बड़ा से बड़ा अपराधी क्यों न हो, उचित और अनुचित का भेद समझता है। उसके अन्तस्‌ में उचित के प्रति समर्थन और अनुचित के प्रति विरोध सदैव रहता है, भले ही वह सुप्तावस्था में ही क्यों न हो। जब कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा जाता है, तो पास से गुजरने वाले व्यक्ति के मन में चोरी के प्रति सुप्त विरोध प्रकट हो जाता है। अगर भीड़ ने चोर को पकड़ा है, तो आसपास के लोग भी विरोध से सम्मोहित हो जाते हैं और ऐसा काम कर बैठते हैं जिसे अकेले करने के लिए वे सोच भी नहीं सकते थे। भीड़तंत्र में सभी सम्मोहन की स्थिति में होते हैं, इसलिए एक या दो मुखर व्यक्ति जो निर्देश ऊँचे स्वर में देते हैं, भीड़ बिना परिणाम का विचार किए उसका पालन करने लगती है। जनमानस सार्वजनिक स्थलों पर चोरी, लूट, महिलाओं से अभद्र व्यवहार, हिंसा आदि के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होता है। वह ऐसे अपराधियों को सजा देने के लिए कानून या पुलिस की प्रतीक्षा नहीं करता। वह हाथ के हाथ सजा देकर मामले का निपटारा कर देता है। भीड़ की इस मानसिकता के कारण शंका के आधार पर भी निर्दोष की हत्या हो जाती है। लेकिन भीड़ के इसी डर के कारण दिन के उजाले में सार्वजनिक स्थानों पर अपराधी अपराध करने से डरते भी हैं। भीड़तंत्र के लाभ भी हैं और हानियां भी हैं। कभी तो यह कानून-व्यवस्था को बनाये रखने में सहायक होता है और कभी कानून को ही अपने हाथ में ले लेता है। सिर्फ कानून बनाकर इसपर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता। मनुष्यों में नैतिकता की मात्रा बढ़ाकर अर्थात सतो गुण की वृद्धि करके इसपर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए विद्यालयों में उचित नैतिक शिक्षा की व्यवस्था करना आवश्यक है। सभी राजनीतिक दलों को दलीय स्वार्थ से ऊपर उठकर नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्वसम्मति से कार्य करना चाहिए। सभी धर्मों के नैतिक आदर्श से विद्यार्थियों को परिचित कराना चाहिए, तभी हम माब लिंचिंग पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं।

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