Sunday, January 7, 2018

एक पाती लालू भाई के नाम

प्रिय लालू भाई,
जय राम जी की।
आगे राम जी की कृपा से हम इस कड़कड़ाती ठंढ में भी ठीकठाक हैं और उम्मीद करते हैं कि आप भी हज़ारीबाग के ओपेन जेल में राजी-खुशी होंगे। अब तो बिहार और झारखंड का सभी जेलवा आपको घरे जैसा लगता होगा। इस बार आपकी पूरी मंडली आपके साथ होगी। आप चाहें तो कबड्डी भी खेल सकते हैं और क्रिकेट भी खेल सकते हैं। हम ई देख के बहुते खुश हुए कि जेल जाते समय भी आपके चेहरे पर मुस्कान पहले की तरह ही थी। मेरे शहर में एक बदनाम मुहल्ला है। उसमें नाचने-गाने वाली रहती हैं। शहर के रईस वहां रात में आनन्द लेते हैं। कभी-कभी उनके घरों पर पुलिस का छापा पड़ता है तो बिचारियां गिरफ़्तार हो जाती हैं लेकिन कुछ ही दिनों में ज़मानत पर छूटकर आ भी जाती हैं। फिर सारा कार्यक्रम पहले की तरह ही चालू हो जाता है। एक दिन एक सब्जीवाले के यहां उनमें से एक सब्जी खरीद रही थी। दोनों में पुरानी जान-पहचान थी। सब्जी वाले ने पूछा -- “बाई जी कब आईं वहां से?” “यही दो-तीन दिन हुआ,” बाई जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। “वहां कवनो दिक्कत-परेशानी तो नहीं हुई,” सब्जीवाले ने प्रश्न किया। “नहीं, तनिको नहीं। हर जगह हमलोगों को चाहने वाले मिल जाते हैं, वहां भी मिल गए। तबहियें तो इतना जल्दी वापस आ गए, बाईजी ने हँसते हुए जवाब दिया। सब्जीवाले ने भी हँसी में भरपूर साथ दिया और बाईजी की झोली सब्जी से भर दी। बाईजी ने जाने के पहले पूछा - “कितना हुआ रामलालजी?” “जो आपकी मर्ज़ी हो दे दीजिए। आपसे क्या भाव-ताव करना?” बाईजी ने मुस्कुराते हुए दस के कुछ नोट उसकी ओर बढ़ाए और सब्जीवाले ने स्पर्श-सुख के साथ उन्हें ग्रहण किया। उसके लिए तो बाईजी की मुस्कान ही काफी थी। बाईजी आसपास के लोगों पर अपनी नज़रों की बिजली गिराते हुए, इठलाते और मुस्कुराते हुए अपने गंतव्य पर चली गईं। लालू भाई! आपको जब-जब टीवी पर जेल जाते हुए और आते हुए देखता हूं तो मुझे अपने शहर की बाईजी की याद आती है। आप उसी की तरह मुस्कुराते हुए जेल जाते हैं और कुछ ही दिनों में मुस्कुराते हुए वापस भी आ जाते हैं। आपके चेहरे की चमक तनिको कम नहीं होती। कमाल है। लगता है देसी शुद्ध घी सिर्फ आप ही खाते हैं। आपको देखकर विश्वास हो जाता है -- चोर का मुंह चांद जैसा।
  लालू भाई! जब आपने अदालत को बताया कि आप सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वकील हैं तो मालूम भया कि आप पढ़े-लिखे भी हैं; नहीं तो आपके मुखमंडल और बतकही से तो तनिको नहीं लगता है कि आप मैट्रिको पास किए होंगे। जरा नीतीश भैयवा को तो देखिए। खैनी तो वह भी खाता है लेकिन पढ़ा-लिखा लगता है। खैर जाने दीजिए ये सब। आप अखबार तो पढ़ते ही होंगे। समाचार आया था कि बिहार और झारखंड के नक्सली एरिया कमांडर जनता और ठेकेदारों से पैसा लूटते हैं, खुद जंगल में रहते हैं लेकिन अपने बच्चों को कलकत्ता और चेन्नई के डिलक्स स्कूल-कालेजों में पढ़ाते हैं। वे भी नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चे उनकी तरह बनें। फिर आपने अपने बच्चों को क्यों अपनी राह पर ही चलना सिखाया? बिचारी मीसा भारती, आपकी बड़की बिटियवा भरी जवानी में हसबैंड के साथ कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रही है। उ कवनो दिन गिरफ़्तार होकर जेल जा सकती है। दामादो को आपने अपना हुनर सिखा दिया। कम से कम ओकरा के तो बकश ही देते। डाईन को भी दामाद पियारा होता है। कवनो जरुरी है कि मीसा और उसके हसबैंड को एक ही जेल मिले। आपका तो एक पैर जेल में रहता है और एक बाहर रहता है। लेकिन भौजाई कैसे जेल में रह पायेंगी। रेलवे का होटल बेचना था तो अकेले ही बेचते, उनको अपना पार्टनर काहे को बना लिया। सुशील मोदिया बहुत बदमाश है। आपके साथ पटना यूनिवर्सिटी में महामंत्री था, सरकार में भी आपके ही मातहत मंत्री था, लेकिन भारी एहसान फरामोश आदमी निकला। आपने उसको ठीक से पहचाना नहीं था क्या। अब तो सारा पोलवा वही खोल रहा है। और आपको भी पटना में ही माल बनाने की क्या सूझी? दुबई में बनवाते, सिंगापुर में बनवाते, हांगकांग में बनवाते -- किसी को कानोकान खबर नहीं होती। सोनिया भौजी का इतना चक्कर लगाते हो, पपुआ से गठबंधन करते हो; अकूत धन को विदेश में सही ढंग से ठिकाने लगाने का फारमुला उनसे काहे नहीं सीख लिए। माल तो सीज हो ही गया, जवान लड़के को मिट्टी बेचने के जुर्म में फंसा दिया। पटना जू को मिट्टी बेचने की क्या जरुरत थी। गोपालगंज में गंडक पर बांध ही बनवा दिए होते।
लालू भाई। सरकारी पैसा हड़पने और सामाजिक न्याय में कवन सा संबन्ध है, आजतक हमारे दिमाग में नहीं आया। वैसे भी हमारे दिमाग में भूसा नहीं भरा है। सब भूसा तो आप ही खा गए। लेकिन आप और आपके चाहनेवाले यही कह रहे हैं। कहती है दुनिया, कहती रहे, क्या फर्क पड़ता है। आप तो वही करेंगे जिसमें दू पैसा की आमदनी हो। लेकिन भाई! बेटा, बेटी, दामाद और मेहरारू को फंसाना कवनो एंगिल से उचित नहीं है। नीतीश कुमार जी को कम से कम इतना तो सोचना ही चाहिए।
    जेलवा में जेलर से हाथ-पांव जोड़कर एक जोड़ी कंबल एक्स्टरा ले लीजिएगा। हज़ारीबाग में ठंढ कुछ बेसिये पड़ती है। चाह में आदी का रस मिलाके पीजिएगा, नहीं तो तबीयत खराब हो जाएगी। अपना खयाल रखियेगा, पटना में परिवार का खयाल रखने के लिए बहुते यादव है। थोड़ा लिखना जियादा समझना। इति।
        आपका अपना ही -- चाचा बनारसी

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