Monday, October 24, 2016

एक पाती अखिलेश बचवा के नाम

प्रिय बबुआ अखिलेश,
राजी खुशी रहो।
आगे समाचार ई है कि टीवी चैनल और अखबार वाले तोके तरह-तरह की सलाह दे रहे हैं। कुछ लोग तो तोके हीरो बनाए हुए हैं और कुछ लोग नालायक बेटा। हम भी सोचे कि इस संकट की घड़ी में चाचा होने के नाते तुमको कुछ सलाह देइये दें। बचवा ई बात का खयाल रखना कि हम शिवपाल चाचा या अमर अंकल नहीं हैं, हम बनारसी चाचा हैं। आजकल तुम जैसी फाइट दे रहे हो, उसको देखकर हिरण्यकश्यपु और प्रह्लाद की याद आ रही है है। तोहरे बाबूजी तोके मुख्यमंत्री तो बना दिए, लेकिन तुमसे वे कभी खुश नहीं रहे। पहले भी सार्वानिक रूप से तुम्हारे काम-काज पर विरोधी दल की तरह टिप्पणी करते रहे। आज तुम्हारी माँ जिन्दा रहती तो तुमको ये दिन नहीं देखने पड़ते। कहते हैं कि जब सौतेली माँ घर में आती है तो सबसे पहले बाप ही सौतेला हो जाता है। तुम्हारे बाप का व्यवहार देखकर अब इस बात पर यकीन न करने का कवनो सवाले नहीं उठता है। बेटा तुममें एक छोड़कर कवनो कमी नहीं है। तुम आदमी पहचानने में थोड़ा ज्यादा टैम लेते हो। तुम्हारे पिता के केन्द्र में जाने के बाद तुम्हारा चाचा, अरे वही शिवपलवा, अपने को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी का असली अधिकारी मानता था। वह बन भी जाता कि बीच में तुम टपक पड़े। उस समय मुलायम भी तुमको एक आज्ञाकारी पुत्र के रूप में जानते थे। लेकिन इसमें कोई सन्देह नहीं कि शिवपलवा पहले ही दिन से तुमपर घात लगाए था। उसने और आज़म खाँ ने तुम्हें पप्पू बनाने का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं दिया। वे शायद भूल गए कि उनका पाला आस्ट्रेलिया में पढ़े एक इंजीनियर से पड़ा था। तुम समय-समय पर उन्हें २५० वोल्ट का झटका देते रहे, वे फिर भी नहीं संभले। मुज़फ़्फ़र नगर में दंगा कराकर और बुलंद शहर में सार्वजनिक बलात्कार कराकर तुम्हें कुर्सी से बेदखल करने की बहुते कोशिश हुई, लेकिन तब तुम अपने पिताश्री का विश्वास जीतने में कामयाब रहे। लेकिन अब जब तुमने सब के पेट पर लात मारने की कोशिश की है, तो सब एकजूट हो गए। बचवा, राजनीति में हो तो इतना तो जानते ही होगे कि चुनाव में बेतहाशा खर्च होता है। तुम्हारे जैसे साफ-सुथरा मनई सैकड़ों करोड़ का इन्तज़ाम कैसे करता? ऐन मौके पर चाचा को हटा दिए और गायत्री प्रजापति का इस्तीफ़ा लेकर अपनी कैकयी माता को भी नाराज़ कर दिए। बाबर सिर्फ १२,००० सेना लेकर हिन्दुस्तान में आया था। उसका साथ अगर यहां के राजा नहीं देते तो वह दिल्ली तक नहीं पहुंच पाता। तुमने यह तो साबित कर दिया है कि तुम एक काबिल मुख्यमंत्री हो, जो भ्रष्टाचार और जुगाड़ में विश्वास नहीं करता। लेकिन तुम्हारा यह गुण आज़मों, अमरों और शिवपालों का कैसे बर्दाश्त होगा? अब तो तुम्हें आर-पार की लड़ाई लड़नी है। जब टिकट के बँटवारे में तुम्हारी कवनो पूछे नहीं है, तो चुनाव के बाद तुम्हें मुख्यमंत्री कौन बनायेगा। इसलिए बचवा, अपनी लड़ाई आप लड़ो। महाभारत में अर्जुन के सामने उनके दादा, मामा, चचेरे भाई, रिश्तेदार और मित्र खड़े थे, लेकिन उन्होंने धर्मयुद्ध में किसी को नहीं बक्शा। तुम भी हथियार लेकर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। समय बहुत कम है। लंबी तैयारी करनी है। यदुवंशी श्रीकृष्ण तुम्हारा साथ दें, यही प्रार्थना है।
    थोड़ा लिखना, ज्यादा समझना। हम इहां ठिकेठाक हैं। तुम अपना ख्याल रखना।
इति शुभ। 
      तुम्हारा
 चाचा बनारसी

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