Tuesday, September 17, 2013

आडवानीजी संघर्ष करो, सोनिया तुम्हारे साथ है

आदरणीय आडवानी बाबा, 
             सादर परनाम !
आगे समाचार इ है कि नीतिश कुमार के तरह-तरह के विरोध के बाद भी नरेन्दर मोदिया बिहार में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। बिहार के लोगबाग नरेन्दर का इन्तज़ार बड़ी बेसब्री से कर रहा है। नीतीश तो आपके ही मानस पुत्र हैं। जब जरुरत थी तो सांप्रदायिक भाजपा से कवनो परहेज़ नहीं था; अब काम चलाऊ बहुमत पा गए तो सेकुलर बन गए। इ प्रधान मंत्री की कुरसिए ऐसी है कि जो भी उधर देखता है, रातोरात सेकुलर बन जाता है या बनने की कोशिश करने लगता है। आपको भी तो इ कुर्सिए न सेकुलर बनाई है वरना क्या कारण था आपको जिन्ना की तारीफ़ में कसीदा काढ़ने का। छद्म धर्मनिरपेक्षता की पोलपट्टी खोलनेवाले, रामरथ के सवार, राम जन्मभूमि आन्दोलन के मसीहा को भी अल्ला-हो-अकबर का नारा लगाना ही पड़ा। कबीर दास कह गए हैं - माया महा ठगनी हम जानी। अब देखिए, आप न घर के रहे न घाट के। जातो गवांए और भातो नहीं खाये। 
बाबा ! हमरी बात का बुरा मत मानिएगा। इ खत में हम उहे बात लिख रहे हैं, जो जनता कह रही है। सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के चक्कर में पड़कर बुढ़ापा काहे खराब कर रहे हैं? कर्नाटक का अनन्त कुमार जो वहां पर येदुरप्पा के साथ-साथ भाजपा को भी ले डूबा, सुनते हैं आपका सलाहकार है और सुधीर कुलकर्णी आपका प्रवक्ता है। आप जो कल करने को होते हैं कुलकर्णिया दो दिन दिन पहले ही ट्वीट कर देता है। फिर भी आप उसपर ही विश्वास करते है। आपके साथ लगे इस गैंग आफ़ फ़ोर के चारों मेम्बर बहुते डेन्जरस हैं। आप खुद ही देखिए - संसदीय दल की बैठक के दिन आप तो कोप-भवन में थे और ये सभी मोदी को माला पहना रहे थे। आपको छोड़ ये सभी वक्त का मिज़ाज़ भांप चुके हैं। आप से लेटर-बम फोड़वाते हैं और स्वयं राजनाथ की चमचागीरी करते हैं। वैसे कोप-भवन में जाने का परिणाम इस आर्यावर्त्त में अच्छा ही रहा है। कैकयी के कोप-भवन में जाने से राम को वनवास तो जरुर मिला, लेकिन इसके बिना रावण-वध भी नहीं हो सकता था। कलियुग की इक्कीसवीं सदी में आप दो बार कोप-भवन में जा चुके हैं। दोनों बार रिजल्ट ठीके रहा है। मोदी को पी.एम. बनाने के लिए आपको एक बार और कोप-भवन में जाना पड़ेगा। इस बार इसको थोड़ा लंबा रखिएगा। ताज़पोशी के बादे बाहर आइयेगा। लेकिन आपको सलाह देना बेकारे है। आप तो वही कीजिएगा जो कुलकर्णी कहेगा। साठ के बाद लोग सठियाते हैं, आप तो अंठिया गए है। आरे, वर्ण-व्यवस्था बनाने वाले मनु महाराज और हमारे ऋषि-मुनि बुड़बक तो थे नहीं। पचहत्तर के बाद उन्होंने संन्यास आश्रम कम्पलसरी किया था। आप तो पचासी पार कर चुके हैं। काहे को लार टपका रहे हैं। अब राम-राम जपने का वक्त आ गया है। जिन्ना-जिन्ना जपकर काहे आकबद खराब कर रहे हैं? मरने के बाद स्मारको नहीं बनेगा।
पानी पी-पीकर आपको कट्टरवादी और सांप्रदायिक कहनेवाले कांग्रेसी आपसे बहुत आस लगाए हैं। क्या सोनिया गांधी और क्या दिग्गी बाबू, सब आपके लिए आंसू बहा रहे हैं। नीतीश तो नीतीश, लालू भी तारीफ़ कर रहे हैं। कांग्रेसी खेमे में आपकी लोकप्रियता अमिताभ बच्चन से भी ज्यादा है। कल बनारस के लंका चौराहे पर कांग्रेसी नारा लगा रहे थे - आडवानीजी संघर्ष करो, सोनिया तुम्हारे साथ है।
इहां यू.पी बिहार ही नहीं, सगरे हिन्दुस्तान में आपके पोता-पोती राजी-खुशी हैं। बस एके गड़बड़ है - सब नमो-नमो जप रहे हैं। अब चिठ्ठी बन्द करता हूं। थोड़ा लिखना, ज्यादा समझना। पयलग्गी कुबूअल कीजिएगा।
 आपका पोता 
जवान हिन्दुस्तानी

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